विश्व संगीत दिवस: संजय सिंह और श्रीवंत सिंह ने सुरीले नगमों से सजाई शाम

विश्व संगीत दिवस: संजय सिंह और श्रीवंत सिंह ने सुरीले नगमों से सजाई शाम
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विश्व संगीत दिवस: संजय सिंह और श्रीवंत सिंह ने सुरीले नगमों से सजाई शाम


जयपुर, 21 जून (हि.स.)। विश्व संगीत दिवस की संध्या पर शुक्रवार को जवाहर कला केन्द्र में मधुर गीतों के साथ शाम सजी। जूनियर समर कैम्प में संगीत विधा के चयनित प्रतिभागियों ने मंच पर अपना हुनर दिखाया तो वहीं मशहूर गायक संजय सिंह और श्रीवंत सिंह ने सुरीली आवाज में गीत गाकर समां बांधा। बारिश की हल्की फुहारों ने मौसम को सुहाना बना दिया, जेकेके में गूंजते सुरीले गीतों ने माहौल को खुशनुमा बना दिया। गुलजार हुसैन के निर्देशन में 11 बच्चों ने प्रस्तुति दी। बच्चों ने वायलिन, तबला, गिटार, पियानो की संगत के साथ राग अहीर भैरव में 'अलबेला सजन आयो रे' गाकर सुनाया।

नन्हें कलाकारों की मनोरम प्रस्तुति के बाद संजय सिंह और श्रीवंत सिंह ने रंगायन में स्वर लहरियां बिखेरी। दोनों ने फिल्मी गीतों, सूफी और राजस्थानी गीतों की सुगंध से सराबोर गुलदस्ता सजाया। संजय सिंह ने 'पुकारता चला हूं मैं' से प्रस्तुति की शुरुआत की। 'आने वाला पल', 'किसी की मुस्कुराहटों पे हो निसार', 'आने वाला पल', 'अजी ऐसा मौका फिर', 'ये दिल ना होता बेचारा' सरीखे गीत गाकर वाहवाही लूटी। श्रीवंत ने 'माई नी मेरिए' के साथ सुरीले सफर की शुरुआत की।

सूफी संगीत के सौंदर्य से सराबोर करने के बाद उन्होंने 'चन्ना मेरेया', 'तुम ही हो', 'तू ही रे', 'फिर से उड़ चला' आदि गीत गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। केसरिया बालम गाकर श्रीवंत ने सभी को राजस्थान के रंग में रंग दिया। अशफाक हुसैन ने की-बोर्ड, नफीस खान ने ढोलक, ऋषभ पटेल ने ड्रम, वसीम खान ने ऑक्टोपैड पर संगत की।

गौरतलब है कि गायक व संगीत निर्देशक संजय सिंह विश्व स्तर पर अपनी आवाज का जादू दिखा चुके है उन्हें अपने भी कई एल्बम लॉन्च किए हैं। उन्होंने बताया कि शुरू से गायन में उनका रुझान रहा। आईआईटी बीएचयू में पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने सिंगिंग के पैशन को फॉलो करना शुरू किया। संजय सिंह ने कहा कि जिस काम में हमें खुशी मिले वही काम करना चाहिए। एज्युकेशन और व्यक्तिगत खुशी दोनों अलग-अलग चीजें है। अब अच्छे-अच्छे संगीत संस्थान है, संगीत के क्षेत्र में जाने वालों के लिए एक सुनियोजित व्यवस्था है, युवा संगीत क्षेत्र में अच्छा करियर बना सकते हैं।

उन्होंने यह भी कहा कि सोशल मीडिया ने एक अर्निंग प्लेटफॉर्म भी कलाकारों के लिए उपलब्ध करवाया है। अच्छे गाने लिखे, म्यूजिक कम्पोज करें और अपनी सुरीली आवाज में पिरोकर सोशल मीडिया के जरिए श्रोताओं तक पहुंचाए। श्रीवंत सिंह जिनके एल्बम 'शुरुआत' के गाने 2023 में ग्रैमी अवॉर्ड के लिए नॉमिनेटेड हो चुके हैं उन्होंने कहा कि इंटरनेशनल लेवल पर वे भारत का परचम लहराकर गौरवान्वित महसूस करते हैं। श्रीवंत सिंह ने बर्कली कॉलेज ऑफ म्यूजिक, बोस्टन से संगीत की शिक्षा हासिल की है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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