किडनी के प्रति जागरूक हों और नियमित जांच कराएं- डॉ रणवीर चौधरी
अजमेर, 13 मार्च (हि.स.)। गुर्दारोग विशेषज्ञ डॉ रणवीर सिंह चौधरी ने कहा कि किडनी की बीमारी का पता ही तब चलता है जब किडनी 15 प्रतिशत से कम काम कर रही होती है। इस स्थिति में मरीज के समक्ष डायलिसिस अथवा किडनी प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय होता है। डॉ चौधरी ने वर्ल्ड किडनी दिवस पर खान-पान और नियमित व्यायाम पर ध्यान देने तथा शरीर के प्रति जागरूक रहकर नियमित जांच कराते रहने का आह्वान किया।
डॉ रणवीर सिंह चौधरी वर्ल्ड किडनी दिवस के अवसर मित्तल हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर की ओर से 14 मार्च को आयोजित जागरुकता रन एंड वॉक के संबंध में मीडिया को जानकारी दे रहे थे। उन्होंने कहा कि किडनी पीड़ित 60 प्रतिशत लोग जानकारी के अभाव में ही उपयुक्त उपचार नहीं ले पाते। उन्होंने बताया कि इस वर्ष की थीम का उद्देश्य किडनी रोग के उपचार में असमानताओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और किडनी रोग से प्रभावित प्रत्येक व्यक्ति के लिए उचित उपचार तक पहुंच में सुधार के लिए सहयोगात्मक प्रयासों को प्रोत्साहित करना है।
डॉ चौधरी ने बताया कि किडनी फेलियर का मरीज कई तरह की बीमारियों से ग्रसित होता है। यह क्रोनिक या नॉन कम्युनिकेबल (असंक्रामक) बीमारियां जैसे शुगर, उच्च रक्तचाप, मोटापा, हृदय रोग, आदि हो सकते हैं। वर्तमान में ऐसे रोगियों की संख्या जिस तरह बढ़ रही है वैसे ही किडनी की बीमारियां भी बढ़ती जा रही हैं। किडनी की बीमारी का सबसे खराब पक्ष भी यही है कि 90 प्रतिशत लोगों को जानकारी का अभाव होता है।
डॉ रणवीर चौधरी ने कहा कि ऐसे मरीज जो किडनी की बीमारी होने के रिस्क पर हैं जैसे मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापा, किडनी की पथरी, बार-बार पेशाब में संक्रमण, कैंसर तथा वे मानसिक रोगी जिनको लिथियम का सेवन करना पड़ रहा है उन्हें नियमित रूप से किडनी की जांच कराते रहना चाहिए।
डॉ चौधरी ने बताया कि किडनी डेमेज का शुरुआती अवस्था में पता चल जाए तो चिकित्सक से परामर्श कर उपयुक्त निदान के साथ उपचार लेना और साथ में परहेज पर रहना चाहिए। उन्होंने दर्द निवारक और एंटीबायोटिक गोलियों का सेवन चिकित्सक की सलाह पर ही करने को उचित बताया। बिना सलाह के दर्द निवारक और एंटीबायोटिक गोलियां सेवन से किडनी खराब होने की संभावना प्रबल होती है। उन्होंने बताया कि प्रति दस व्यक्ति में एक किसी ना किसी प्रकार की किडनी की बीमारी से ग्रसित मिल रहा है। हालात तो यह है कि किडनी पीड़ित 60 प्रतिशत लोग तो रोग की जानकारी नहीं होने के कारण ही सही उपचार नहीं ले पा रहे। किडनी पीड़ित प्रति सौ व्यक्तियों में सिर्फ 30 प्रतिशत को ही डायलिसिस की सुविधा मिल पाती है और दस प्रतिशत ही किडनी प्रत्यारोपण करा पाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/संदीप
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