रेगिस्थान में हो रहे क्लाइमेंट चेंज को लेकर रिसर्च सेंटर बनाने की प्लानिंग

जयपुर, 15 अप्रैल (हि.स.)। राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) पर गहन अध्ययन करने और उस बदलाव से होने वाले नुकसान और फायदों की रिसर्च करने के उद्देश्य से मौसम विज्ञान एक बड़ा रिसर्च सेंटर शुरू करने की योजना बना रहा है। इसके लिए मौसम विज्ञान केन्द्र जयपुर ने डेजर्ट मेटियोरोलोजी एवं अनुसंधान विषय पर एक वर्कशॉप प्रस्तावित की है। इसमें अलग-अलग विभागों और सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट्स जलवायु परिवर्तन से जुड़े विशेषों पर अपने-अपने अनुभव और रिसर्च पर विचार-विमर्श करेंगे। साथ ही इस रिसर्च सेंटर में किन अनुसंधानों की जरूरत है। उस पर अपने सुझाव देंगे।
जयपुर मौसम विज्ञान केन्द्र के निदेशक राधेश्याम शर्मा ने बताया कि ये समिट पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) और बिड़ला इंस्टीट्यूट ऑफ साइंटिफिक रिसर्च, जयपुर की ओर से करवाई जा रही है। जो बिरला ऑडिटोरियम जयपुर में 16 अप्रेल को होगी। हमारी प्लानिंग एक रिसर्च सेंटर स्थापित करने की है। जो केवल रेगिस्तान में हो रहे क्लाइमेट चेंज पर रिसर्च करने की है। इस रिसर्च सेंटर दुनिया में दुनिया की आधुनिक लैब स्थापित करने और इक्यूपमेंट (उपकरण) लगाने की है। ताकि यहां रेगिस्तानी इलाकों में होने वाली अतिवृष्टि , सूखा, हीटवेव, तेज गर्मी, सर्दी और डस्ट स्ट्रॉम के कारण और उनसे होने वाले फायदे नुकसान का अध्ययन किया जा सके। इसके लिए हमने आईआईटी जोधपुर, आईआईजी मुंबई, काजरी एवं आफरी जोधपुर, सेंट्रल यूनिवर्सिटी अजमेर, बीआईटी मेसरा, रांची, महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय बीकानेर, कृषि विभाग, आपदा प्रबंधन एवं राहत विभाग, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग समेत कई विश्वविद्यालयों, एग्रीकल्चर से संबंधित यूनिवर्सिटी और कॉलेजों के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया है। ये विशेषज्ञ अपनी रिसर्च को यहां बताएंगे और मरुक्षेत्र में हो रहे जलवायु परिवर्तन पर अपने सुझाव देंगे। इस कार्यक्रम में भारतीय मौसम विभाग के डीजीएम डॉ. एम. महापात्रा अतिरिक्त मुख्य सचिव (आपदा प्रबंधन) आनंद कुमार, पूर्व डीजीएम आईएमडी डॉ. एल.एस. राठौर समेत राजस्थान के अलग-अलग विभागों के अधिकारी भी शामिल होंगे।
मौसम केन्द्र जयपुर के अधिकारियों के मुताबिक ये रिसर्च सेंटर बीकानेर, जैसलमेर के एरिया में खोलने की प्लानिंग है। इसके लिए जल्द एक प्रस्ताव तैयार करके केन्द्र सरकार को भिजवाया जाएगा। जहां से मंजूरी मिलने के बाद ही रिसर्च सेंटर की स्थापना पर आगे का काम किया जाएगा।
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हिन्दुस्थान समाचार / राजेश