जैसलमेर में भारी बारिश से गिरी 868 साल पुराने किले की दीवार
जैसलमेर, 6 अगस्त (हि.स.)। जैसलमेर में भारी बारिश से सोनार किले की दीवार ढह गई। मंगलवार को सुबह करीब 11 बजे शिव रोड की तरफ की सोनार दुर्ग की दीवार भरभरा कर गिर गई। उसके पत्थर निकल गए और परकोटे के ऊपर गिर गए। गनीमत रही कि बारिश के दौरान सड़क पर कोई ट्रेफिक नहीं था, अन्यथा बड़ा हादसा भी हो सकता था।
सोनार दुर्ग की दीवार गिरने की जानकारी मिलने पर नगर परिषद कमिश्नर लजपाल सिंह और पुलिस की टीम मौके पर पहुंचे। पुलिस ने सड़क के दोनों तरफ बैरिकेड लगाकर उसको बंद कर दिया। नगर परिषद ने अपनी टीम लगाकर आगे कोई हादसा ना हो उसको लेकर टीम को अलर्ट कर दिया।
गौरतलब है कि जैसलमेर का सोनार किला यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है। लेकिन विगत लंबे समय से इसकी दीवारों की मरम्मत नहीं होने से पुरानी दीवारें दरक रही है। इससे पहले भी कई बार दीवारें गिरी है। जिसको भारतीय पुरातत्व विभाग ने तैयार भी करवाया। मंगलवार को एक बार फिर टूरिस्ट मोन्युमेंट्स सोनार किले की दीवार गिरने से सोनार किले के निवासी दहशत में है।
भारी बारिश से हुआ नुकसान
जिले में सोमवार को आई भारी बारिश से कई जगह नुकसान हुआ है और जिले में जगह जगह पानी भर गया है। नगर परिषद कमिश्नर लजपाल सिंह ने बताया कि सोनार किले का रख-रखाव पुरातत्व विभाग के हाथों है। हमने उनको सूचित कर दिया है। अब वो इसे अपने लिहाज से दुबारा तैयार करेंगे। फिलहाल हमने अपनी टीम लगाकर सुरक्षा के इंतजाम कर दिए है ताकि कोई हादसा ना हो। लजपाल सिंह ने बताया कि सोनार किला बहुत पुराना मोन्युमेंट्स है और इसमें लोग भी रहते हैं। बिना चूना पत्थर के हुई चुनाई में अब बारिश के दौरान पुरातन किले को नुकसान हो रहा है।
868 साल पुराना है किला
जैसलमेर किला दुनिया के बहुत कम जीवित किलों में से एक है। क्योंकि पुराने शहर की लगभग एक चौथाई आबादी अभी भी किले के भीतर रहती है। जैसलमेर किला राजस्थान का दूसरा सबसे पुराना किला है, जिसे 1156 ई. में रावल (शासक) जैसल ने बनवाया था, जिनके नाम पर इसका नाम पड़ा। किले की विशाल पीले बलुआ पत्थर की दीवारें दिन के समय गहरे भूरे शेर के रंग की होती हैं, जो सूरज ढलने के साथ शहद-सुनहरे रंग में बदल जाती हैं, जिससे किला पीले रेगिस्तान में छिप जाता है। इस कारण इसे स्वर्ण दुर्ग, सोनार किला या गोल्डन फोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। जैसलमेर किले को राजस्थान के 5 अन्य किलों के साथ, राजस्थान के पहाड़ी किलों के समूह के तहत यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / चन्द्रशेखर / ईश्वर
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