आठ महीने का तब पिताजी का देहांत, मां की तपस्या के बाद अब पहले प्रयास में आरएएस में 265 वीं रैंक पर रहे विशाल चौधरी

आठ महीने का तब पिताजी का देहांत, मां की तपस्या के बाद अब पहले प्रयास में आरएएस में 265 वीं रैंक पर रहे विशाल चौधरी
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आठ महीने का तब पिताजी का देहांत, मां की तपस्या के बाद अब पहले प्रयास में आरएएस में 265 वीं रैंक पर रहे विशाल चौधरी


बीकानेर, 19 नवंबर (हि.स.)। मई-1988 में जब जन्म हुआ उसके आठ महीने बाद जनवरी-1989 में पिता की सड़क दुर्घटना में मृत्यु के बाद घर वाले टूट से गए थे। मैं तो कुछ भी नहीं समझता था। उस समय हम जोधपुर रहते थे और ननिहाल बीकानेर आए और मां की तपस्या इतनी कि आज इस मुकाम पर पहले ही प्रयास में राजस्थान प्रशासनिक सेवा (आरएएस) में 265 वीं रैंक आयी है। न केवल घर वाले बल्कि ननिहाल में नाना, मामा-मामी भी खुश हैं। एक तरह से यह कह सकता हूं कि मां ने ही पाला-पोषा और उसकी तपस्या का फल आरएएस के रुप में चुना हूं।

यह कहना है जयनारायण व्यास कॉलोनी निवासी विशाल चंचल चौधरी का। उन्होंने बताया कि बचपन से लेकर आज तक यहीं पढ़ाई की और इंजीनियरिंग बीकानेर से करने के बाद रांची से एमबीए किया है। वर्तमान में टाटा कंसलटेंसी में प्राइवेट जॉब कर रहा हूं और आरएएस के लिए पहला ही प्रयास किया और उसमें 265 वीं रैंक आयी। उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 1990 में मम्मी चंचल चौधरी पढ़ाई करने के बाद टीचर बनीं और मुझे भी इस मुकाम तक पहुंचाया। जब पिता का देहातं हुआ उस सदमे से दादाजी का निधन हो गया और दादी मानसिक स्थिति खराब हो गयी। फिर हम जोधपुर से यहां आ चुके थे और यहीं पढ़ाई-लिखाई की। विशाल चौधरी ने यह भी बताया कि तीन अक्टूबर को ही ताऊजी जो रेलवे से सेवानिवृत्त हो चुके हैं का देहांत हो गया उसके बाद 16 नवम्बर को इंटरव्यू था। उस सदमे से भी रिकवर यानि जैसे-तैसे दिन निकाले और अब आरएएस में सलेक्ट हुआ। इंटरव्यू बढ़िया रहा और पहले ही प्रयास में सफल होने पर मां के साथ ननिहाल चौतीना कुंआ पहुंचकर आशीर्वाद लिया।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

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