बिना फिटनेस व परमिट के दौड़ रहे दूध सप्लाई में लगे वाहन, एमडी ने माना तीन साल से नहीं हुई जांच
चित्तौड़गढ़, 23 अगस्त (हि.स.)। चित्तौड़गढ़-प्रतापगढ़ दुग्ध उत्पादक संघ (चित्तौड़ डेयरी) में विभिन्न मार्गों पर दूध की आपूर्ति में लगे वाहनों के फिटनेस और परमिट की लंबे समय से जांच नहीं हुई है। बिना फिटनेस और परमिट के यह वाहन नियम तोड़ते हुए सरपट रोड पर भाग रहे हैं। ना तो चित्तौड़ डेयरी के जिम्मेदार अधिकारियों ने इस पर ध्यान दिया है ना ही परिवहन विभाग ने दूध सप्लाई में लगे इन वाहनों की जांच का प्रयास किया। इससे परिवहन विभाग को प्रतिवर्ष लाखों रुपए के राजस्व का नुकसान हो रहा है। करीब 3 साल से इन वाहनों की जांच नहीं होने की बात सामने आई है। चित्तौड़गढ़ डेयरी के एमडी ने भी इस बात को माना है कि 3 साल से इस बारे में विचार नहीं किया गया। लेकिन नए टैंडर के बाद आगामी दिनों में जांच के बाद नए वाहन रुट पर चलेंगे। वहीं अब जो प्रयास किए है उससे डेयरी को लाभ होगा।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़ डेयरी का शहर के निकट बोजुंदा में संयंत्र स्थापित है। यहां से दूध सहित अन्य उत्पाद की आपूर्ति चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी होती है। इसके लिए चित्तौड़ डेयरी ने अलग से व्यवस्था की हुई है। अलग-अलग वाहनों के माध्यम से विभिन्न रूट पर दूध और उससे जुड़े उत्पाद भेजे जाते हैं। सरस उत्पाद की आपूर्ति को लेकर अलग-अलग ठेके दिए हुए हैं तथा प्रति लीटर के हिसाब से ठेकेदार को भुगतान भी किया जाता है। आपूर्ति को लेकर 13 जोन में बांटा हुआ है तथा प्रत्येक जोन में दो वाहन लगाए हुए हैं। सूत्रों की माने तो इनमें से कई वाहनों के फिटनेस एवं परमिट खत्म हो चुके हैं। इस तरफ किसी ने ध्यान नहीं दिया। वाहन मालिक भी फिटनेस एवं परमिट की राशि बचा कर चांदी कूटने में लगे हुए हैं। वहीं नियम विरुद्ध चलने वाले इन वाहनों से कभी भी हादसा होने की संभावनाओं से इंकार नहीं किया जा सकता। कभी कोई हादसा हुआ तो इसका खामियाजा चित्तौड़ डेयरी को भी भुगतना पड़ सकता है। परिवहन विभाग ने भी दूध आपूर्ति में लगे इन वाहनों की जांच करना मुनासिब नहीं समझा है।
तीन साल से नहीं बदले हालात, निकलते रहे टैंडर
सूत्रों की माने तो 2021 में वाहनों की आपूर्ति को लेकर टैंडर हुवे थे। इसके बाद 3 साल से टैंडर ही नहीं हुए। चित्तौड़ डेयरी ने 8 बार टैंडर निकाले लेकिन छोटे-मोटे कारण बता कर टैंडर को आगे बढ़ाते रहे। अब जाकर टैंडर की प्रक्रिया हुई है। लेकिन यह स्पष्ट नहीं हुआ कि वर्तमान में जो वाहन दूध आपूर्ति में लगे हुए हैं क्या उनके फिटनेस एवं परमिट पूरे बने हुए हैं। यह परिवहन विभाग के साथ ही चित्तौड़गढ़ डेयरी के लिए भी जांच का विषय है।
हर माह 36 लाख से ज्यादा का भुगतान, फिर भी बड़ी लापरवाही
जानकारी में सामने आया कि दूध और इससे जुड़े उत्पाद की आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों को चित्तौड़ डेयरी की ओर से प्रतिमाह 36 लाख से ज्यादा का भुगतान होता है। इसके बावजूद भी बड़ी लापरवाही देखने को देखने को सामने आ रही है। इन वाहनों के फिटनेस एवं परमिट की जांच नहीं की जा रही है। चित्तौड़ डेयरी में भी इंद्राज नहीं है, जबकि दूध आपूर्ति में जो वाहन लगे हुए हैं वे चित्तौड़ डेयरी संयत्र के मुख्य गेट से ही निकलते है।
एमडी बोले, शर्तों का किया हमने सरलीकरण
इस संबंध में चित्तौड़ डेयरी के एमडी सुरेश सेन ने बताया कि 3 साल से वाहनों के दूध आपूर्ति में लगे वाहनों के टैंडर नहीं हुए हैं। ऐसे में 3 साल से इन वाहनों की जांच नहीं की गई। हाल ही में हमने टैंडर करवाए हैं और 1 सितंबर से नए नियमों के तहत वाहन दूध आपूर्ति के लिए लगेंगे। नए टैंडर में हमने शर्तों का सरलीकरण किया लेकिन नए ठेकेदार इससे नहीं जुड़ पाए। अब इन मामलों में सख्ती करने का प्रयास करेंगे।
हर माह 5 लाख तक का होगा फायदा
चित्तौड़ डेयरी के एमडी सुरेश सेन बताया कि अब जो वाहन नए टैंडर के अनुसार लगेंगे 1 सितम्बर से वह लेटेस्ट मॉडल होंगे तथा इनमें जीपीएस सिस्टम लगा होगा। इसी से किलोमीटर नोट होंगे। नियमों के असलीकरण करने के कारण पूर्व में जो राशि थी 1 रुपया 76 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से दिए जा रहे थे। वहीं नए टैंडर के अनुसार 1 रुपया 53 पैसा प्रति लीटर के हिसाब से दिया जाएगा। ऐसे में प्रति लीटर 23 पैसा तथा प्रति माह करीब 5 लख रुपए की बचत होगी।
चित्तौड़गढ़ जिला परिवहन अधिकारी सुमन डेलू ने बताया कि डेयरी संयत्र में जाकर कभी दूध के वाहनों की जांच नहीं की। कभी सड़क पर जांच के दौरान वाहन आए होंगे तो जांच की होगी। किसी प्रकार की अनियमितता दूध आपूर्ति में लगे वाहनों में मिलती है तो नियमानुसार कार्यवाही करेंगे।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल / ईश्वर
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