दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास जरूरी: राज्यपाल



दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास जरूरी: राज्यपाल


दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा प्रदान करने के लिए हर संभव प्रयास जरूरी: राज्यपाल


कोटा, 14 मार्च (हि.स.)। राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा है कि दूरस्थ शिक्षा पद्धति के माध्यम से सस्ती और सर्वसुलभ शिक्षा समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं। उन्होंने कहा कि तकनीकी क्रांति की बदौलत विश्वविद्यालय घर बैठे शैक्षणिक सुविधाएं उपलब्ध करायेंगे तो अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक उच्च शिक्षा का उजियारा पहुंचेगा।

राज्यपाल मंगलवार को संत सुधासागर सभागार में वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय कोटा के 15वें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा का महत्व बढता जा रहा है, कोरोना महामारी के समय दूरस्थ शिक्षा के केन्द्र घर बैठे विद्यार्थियों को ऑनलाइन किताबें और वीडियो लेक्चर के जरिए मदद कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में हमें समाजोपयोगी शोध मानकों पर बल देना होगा। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय फलक पर उत्कृष्ट शोध परिणाम से पहचान बनेगी, चिकित्सा अनुसंधानों में हमने अपनी मेधा के बल पर पूरे विश्व को दिखा दिया, अब अन्य क्षेत्रों में भी अपनी उत्कृष्टता का परिचय देना होगा।

उन्होंने कहा कि दूरस्थ शिक्षा में साधारण पाठ्यक्रमों के अलावा वोकेशनल और प्रोफेशनल पाठ्यक्रमों की पढ़ाई पर और जोर दिया जाना चाहिए जिससे इस शिक्षा के जरिए बेरोजगारी दूर की जा सके। उन्होंने कहा कि तकनीकी ज्ञान वाले विद्यार्थी अपने नए ‘स्टार्टअप‘ के साथ रोजगारों का सृजन करें और वोकेशनल कोर्स करने वाले विद्यार्थी भी उपयुक्त रोजगार पा सकें, जिससे आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना को साकार किया जा सकता है।

राज्यपाल मिश्र ने कहा कि स्वच्छ और प्रदूषणमुक्त भारत बनाने का जो संकल्प राष्ट्र निर्माताओं का था, उस पर शैक्षिक संस्थानों को भी काम करना होगा। उन्होंने विश्वविद्यालयों के परिसर को हरा-भरा और प्रदूषणमुक्त रखने एवं इसके लिए संजीदगी से कार्य करने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना कोई बहुत बड़ा टास्क नहीं है और अब सोलर एनर्जी के सहारे हम इसे पूरा करने की ओर आगे बढ़ रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा विश्वविद्यालयों को शोध ‘लैब-टु-लैंड‘ प्रोग्राम चलाकर किसानों के हित में अनुसंधान करते हुए उन्हें फायदा पहुंचाने के लिए कार्य करना होगा। उन्होंने कहा गांव हमारी सामाजिक भागीदारी के हिस्से है। विश्वविद्यालयों द्वारा गांवों को उत्कृष्ट और विकसित करने के लिए गोद लिए जाने की परंपरा शुरू की गई थी, जिसके सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने दीक्षार्थियों को आव्हान किया कि विश्वविद्यालय में जो ज्ञान अपने गुरूजनों और अपनी पुस्तकों के माध्यम से आपने अर्जित किया है उसका प्रयोग करते हुए आप अपने अंदर नैतिक और आध्यात्मिक गुण विकसित करें जिससे आप विवेकशील बन सकें और लोक कल्याण के लिए स्वयं को समर्पित कर सकें।

राज्यपाल ने कहा कि समारोह में 32 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए हैं जिनमें 23 स्वर्ण पदक छात्राओं ने प्राप्त किए हैं, यह भारत के लिए शुभ संकेत है। छात्राओं को अवसर मिले तो देश को आगे बढ़ाने में नेतृत्व प्रदान कर सकती है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का जो ढांचा लागू किया गया है वह वास्तव में भारतीय जीवन मूल्यों और संस्कृति को आलोकित करने वाला है। स्कूली शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक इन सभी बातों का समावेश किया है।

बाबा साहेब अम्बेडकर मुक्त विश्वविद्यालय अहमदाबाद की कुलपति प्रो. अमी यू उपाध्याय ने कहा कि मुक्त शिक्षा वह है जो सृजन की बात करे, समाज को उन्नति के पथ पर ले जाये। उन्होंने दीक्षार्थियों का आव्हान किया कि मानवता के उत्थान एवं विकास के लिए कार्य करते हुए वैचारिक विश्व ऐसा बनायें जिससे समाज को गर्व हो। उन्होंने बालिका शिक्षा के लिए विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे नवाचारों की सराहना की।वर्धमान महावीर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कैलाश सोडानी ने विश्वविद्यालय के 36 वर्षों की यात्रा के नवाचारों की चर्चा करते हुए बताया कि सात क्षेत्रीय व 108 शैक्षणिक केन्द्रों के द्वारा मुक्त शिक्षा को साकार किया जा रहा है। विश्वविद्यालय के 15वें दीक्षान्त समारोह के अवसर पर नवनिर्मित संत सुधासागर सभागार का लोकार्पण किया गया। सांसद एवं विधायक कोष की राशि से बने सभागार का निर्माण श्री दिगम्बर जैन भगवान महावीर संस्थान कार्यकारी एजेंसी द्वारा कराया गया है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ ईश्वर

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