पुष्कर में वैकुण्ठ द्वार से बाहर आए भगवान वैकुंठनाथ, लगे जयकारे
श्रीदेवी—भूदेवी संग भक्तों को दिए दर्शन, वर्ष में एक बार खुलता है द्वार
अजमेर, 30 दिसम्बर (हि.स.)। तीर्थराज पुष्कर में वैकुंठ एकादशी का पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया गया। इस अवसर पर रामावैकुंठ मंदिर में वर्ष में एक बार खुलने वाला वैकुंठ द्वार श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोला गया। पुष्कर को संसार के अष्ट भू वैकुंठों में शामिल माना जाता है और यहां का सरोवर भगवान नारायण का वास स्थल है।
मंदिर व्यवस्थापक सत्यनारायण वैष्णव ने बताया कि रामावैकुंठ मंदिर का संचालन 100 वर्षों से अधिक समय से रामानुज दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार हो रहा है। दक्षिण भारतीय शैली में निर्मित नए रंगजी के मंदिर में स्थित वैकुंठ द्वार का विशेष धार्मिक महत्व है। यह द्वार वर्ष में केवल वैकुंठ एकादशी के दिन लगभग ढाई घंटे के लिए ही खुलता है। वैकुंठ एकादशी के दिन जैसे ही वैकुंठ द्वार खुला, मंदिर परिसर जय श्री वैकुंठनाथ के जयकारों से गूंज उठा। भगवान श्री वैकुंठनाथ श्रीदेवी और भू देवी के साथ पालकी में विराजमान होकर वैकुंठ द्वार से बाहर आए। उनके साथ संत और बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी इस पुण्य अवसर के साक्षी बने। बाहर आने पर भगवान की विधिवत पूजा अर्चना की गई । इसके बाद पालकी को श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए स्थापित किया गया। दर्शनोपरांत भगवान को पुन: वैकुंठ द्वार से ही मंदिर में विराजमान कराया गया। मंदिर प्रबंधन के अनुसार ऐसी मान्यता है कि जो श्रद्धालु भगवान के साथ वैकुंठ द्वार से बाहर आता है उसका जीवन सफल हो जाता है और उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसी आस्था के चलते हर वर्ष देश भर से बड़ी संख्या में श्रद्धालु पुष्कर पहुंचते हैं। रामावैकुंठ मंदिर में वैकुंठ महोत्सव कुल दस दिनों तक मनाया जाता है। वैकुंठ एकादशी से लेकर अगले नौ दिनों तक प्रतिदिन शाम पांच बजे भगवान वैकुंठनाथ की सवारी निकाली जाती है।
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हिन्दुस्थान समाचार / संतोष

