भारतीय नव वर्ष का मंगलमय सिद्धांत मानव सभ्यता का विकास मंत्र
जयपुर, 14 अप्रैल (हि.स.)। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने भारतीय नव वर्ष के शुभ अवसर को बड़े उत्साह और शुभ संकल्पों के साथ धूमधाम से मनाया। इसी के साथ वैदिक इतिहास को गौरवान्वित करने के लिए दिव्या गुरु आशुतोष महाराज के दिव्य मार्ग दर्शन में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान में आध्यात्मिक प्रवचन और आत्म- पोषेक मधुर भजनों का एक अनूठा सम्मिश्रण आयोजित किया गया। डीजेजेएस द्वारा आयोजित भारतीय नववर्ष महोत्सव' एक ऐसा मंच बना जिसने उपस्थित सभी लोगों के बीच एकता और सद्भाव की भावना को बढ़ावा दिया। अंत में, सभी भक्तों ने ध्यान की गहराई में उतर कर अलौकिक शांति व दिव्य आनंद का अनुभव प्राप्त किया।
विक्रम संवत के दिव्य आगमन पर विधिवत पूजन इत्यादि कर भारतीय नववर्ष को चिन्हित कर श्री राम मंदिर बड़ी चौपड़ जयपुर में स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के कार्यकर्ता एवं हजारों भक्त बड़ी संख्या में एकत्रित हुए। दिव्य गुरु आशुतोष महाराज की साध्वी शिष्या दीपिका भारती जी ने श्रद्धालुओं को हर्षपूर्वक बताया कि भारतीय गणना व सार्वभौमिक पौराणिक कथाओं के अनुसार, ब्रह्मा जी ने इस दिन ब्रह्माण्ड का निर्माण आरम्भ किया था, इसलिए इसे नववर्ष के प्रथम दिवस के रूप में स्वीकार किया गया।इसी का अनुसरण करते हुए 2081 वर्ष पूर्व महाराजा विक्रमादित्य ने एक पंचांग (कैलेंडर) की शुरुआत की ताकि आने वाली पीढ़ियां हमारी भारतीय पंचांग प्रणाली से परिचित हो सकें। 'विक्रम संवत' एक अद्वितीय आध्यात्मिक महत्व रखता है क्योंकि यह न केवल भारतीय नववर्ष के आरम्भ का प्रतीक है बल्कि इसे नई शुरुआत और दिव्य विकास के शुभ समय के रूप में भी मनाया जाता है। इसे आत्म-चिंतन और आध्यात्मिक लक्ष्यों के नवीनीकरण के अवसर के रूप में भी देखा जाता है।सभी को दिव्य शुभकामनाएं देते हुए.जयपुर शाखा की संयोजिका साध्वी लोकेशा भारती जी ने कहा कि विक्रम संवत को नववर्ष के रूप में अपनाने के महत्व और प्रभाव को सम्पूर्ण विश्व में प्रसारित करना आध्यात्मिक रूप से जागृत भक्तों का दायित्व है।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर
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