खींवसर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी भागीरथ मेहरिया ने समर्थकों के साथ थामा भाजपा का दामन

खींवसर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी भागीरथ मेहरिया ने समर्थकों के साथ थामा भाजपा का दामन
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खींवसर विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी भागीरथ मेहरिया ने समर्थकों के साथ थामा भाजपा का दामन


जयपुर, 10 नवंबर (हि.स.)। राज्य में विधानसभा चुनावों के साथ ही भाजपा का कुनबा लगातार बढ़ रहा है। इस कड़ी में शुक्रवार को भागीरथ मेहरिया ने भाजपा प्रदेश मीडिया सेंटर पर आयोजित पत्रकार वार्ता के दौरान अपने समर्थकों अर्जुनराम मेहरिया, मनीराम काला बलाया, भागीरथ बनगांवा और बद्रीराम बिडियासर के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस दौरान केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और नागौर विधायक मोहनलाल चौधरी ने सभी को भाजपा का पटका पहना कर और मिठाई खिलाकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कराई। भागीरथ मेहरिया 2013 में खींवसर से भाजपा प्रत्याशी रहे हैं और 2013 से लेकर 2023 तक भाजपा में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में निरंतर काम कर रहे थे, लेकिन मेहरिया ने 25 अक्टूबर को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन कर ली थी।

इस अवसर पर केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान की वर्तमान कांग्रेस सरकार ने षडयंत्र पूर्वक प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से लूट की है। कांग्रेस की विफलता और आर्थिक कुप्रबंधन के चलते आज राजस्थान में देश की सबसे महंगी बिजली मिल रही है। राजस्थान की सरकार महंगी बिजली के माध्यम से राजस्थान के एक करोड़ 39 लाख उपभोक्ताओं को लूटने का काम कर रही है। 2018 में प्रदेश में बिजली की कीमत 5 रुपये 55 पैसे प्रति यूनिट थी जो बढ़कर आज 11 रुपये 90 पैसे प्रति यूनिट पर पहुंच गई है। कांग्रेस ने सत्ता में आने से पहले यह वादा किया था कि राजस्थान में एक भी पैसा बिजली की कीमत हम नहीं बढ़ाएंगे और फिर झूठ का सहारा लेकर सत्ता में आए। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने नौ बार बिजली की दरें फ्यूल सरचार्ज के नाम पर बढ़ाई हैं। एक पुराने मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने स्पेशल फ्यूल सरचार्ज वसूलने पर रोक लगाई गई है।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि बारां के कवाई में 2018 में एक थर्मल बेस पावर प्लांट ताप विद्युत घर बनाने के लिए ‘‘अदानी राजस्थान लिमिटेड, राजस्थान सरकार और डिस्कॉम तीनों ने एक एमओयू साइन किया था। इसके अनुरूप राजस्थान सरकार को बिजली विनिर्माता कंपनी को जिसने पावर प्लांट बनाया था उसको एक कोल ब्लॉक आवंटित करना था, लेकिन दुर्भाग्य से राजस्थान की सरकार बदलने के बाद वह कोल ब्लॉक आवंटित करने में असफल रहे। कोल ब्लॉक आवंटित नहीं होने के कारण एमओयू की शर्तों के अनुरूप बिजली उत्पादक कंपनी अदानी राजस्थान लिमिटेड कंपनी को महंगी दर पर इंडोनेशिया से कोयला इम्पोर्ट करना पड़ा। महंगे दर पर कोयला खरीदने के बाद बिजली उत्पादक कंपनी ने राजस्थान सरकार से कोयले की बढ़ी हुई लागत को वसूल करने के लिए बिजली दरों को बदलने का आग्रह किया, और कंपनी (आरईआरसी) में गुहार लगाई। बिजली कंपनी ने कहा कि हमें जो नुकसान हो रहा है उस नुकसान की भरपाई की जाए। इसके बाद अधिकरण ने विद्युत उत्पादक कंपनी के पक्ष में फैसला किया, लेकिन राजस्थान की डिस्कॉम और सरकार दोनों अपीलांट प्राधिकरण के पास जाकर अपील में चले गए।

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा कि अपील में निर्णय करते हुए अपीलांट प्राधिकरण ने कहा कि विद्युत कंपनी लागत मूल्य 5 हजार करोड़ का 70 प्रतिशत तक वसूल कर सकती हैं। इस आदेश से आहत होकर राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट में गई जहां सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि उत्पादक कंपनी 50 प्रतिशत पैसा वसूल करे, और राजस्थान की बिजली उत्पादक कंपनियां 50 प्रतिशत पैसे का तुरंत भुगतान करे। राजस्थान सरकार के पास पैसा नहीं था इसलिए सरकार ने एक बार फिर भुगतान में देरी की जिसके कारण निरंतर ब्याज बढ़ता गया और फिर उत्पादक कंपनियों ने पुनः सुप्रीम कोर्ट में जाकर गुहार लगाई।

प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं से अवैध वसूली के खिलाफ भी शिकायत थी, कि एक आदेश लेकर के जनता को लूटने का काम किया गया, और एक स्पेशल फ्यूल सरचार्ज लगाकर प्रति यूनिट उपभोक्ताओं से वसूलना आरंभ किया। प्रदेश के पीड़ित हजारों उपभोक्ताओं ने राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका लगाई जिसके बाद कल राजस्थान उच्च न्यायालय ने आदेश पारित करते हुए उन सभी पीटिशन को डिसाइड करते हुए कहा कि यह ब्याज और पेनल्टी की वसूली पूरी तरह अवैध है। लागत और ब्याज के कारण जो खर्च बढ़ा है, उसको उपभोक्ता से वसूल करना बिल्कुल गैरकानूनी है जो करार है वह डिस्कॉम और उत्पादक कंपनी के बीच में है। उपभोक्ता इसका खामियाजा नहीं भुगतेगा।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर

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