श्रीकृष्ण-राधारानी के राज दरबार ने मोहा मन, कंस वध, गोवर्धन पर्वत की झांकी भी रही आकर्षण का केंद्र

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श्रीकृष्ण-राधारानी के राज दरबार ने मोहा मन, कंस वध, गोवर्धन पर्वत की झांकी भी रही आकर्षण का केंद्र


सिराेही, 26 अगस्त (हि.स.)। ब्रह्माकुमारीज़ संस्थान शांतिवन परिसर के गेट नंबर एक के सामने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर दो दिवसीय विशाल झांकी लगाई गई। इसमें सजाए गए श्रीकृष्ण-राधारानी के राज दरबार ने सभी का मन मोह लिया। बहुत ही सुंदर, आकर्षक और कलात्मक तरीके से यह झांकी सजाई गई है। झांकी को निहारने के लिए देर रात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

झांकी का शुभारंभ कर मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी दादी रतनमोहिनी ने आशीवर्चन दिए। संयुक्त मुख्य प्रशासिका राजयोगिनी बीके मुन्नी दीदी ने कहा कि सतयुग के पहले राजकुमार श्रीकृष्ण का जीवन 16 कला संपूर्ण और संपूर्ण निर्विकारी था। हर मां का सपना होता है कि उनके यहां कन्हैया जैसे बालक का जन्म हो। उनके जैसा सुशील, सुंदर और गुणवान हो। श्रीकृष्ण के जीवन से हमें सीख मिलती है कि जीवन एक उत्सव है। जीवन में कैसा भी समय आए लेकिन सदा उमंग-उत्साह और खुशी में रहें। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।

झांकी-प्रदर्शनी के संयोजक बीके चिरंजीवी भाई ने बताया कि झांकी में कंस वध की झांकी में लाइट एंड साउंट के सुंदर संयोजन से कंस वध के दृश्य को दिखाया गया। इसमें श्रीकृष्ण के बाल रूप को दर्शाया गया। राधा-मीरा का श्रीकृष्ण से प्यार झांकी में राधा और मीरा का श्रीकृष्ण के प्रति अटूट प्रेम को दिखाया गया। इस सजीव झांकी और प्रेम को देखकर हर कोई भाव-विभोर हो गया। गोवर्धन पर्वत में दिखाया गया कि कैसे श्रीकृष्ण और गोप-गोपिकाओं ने अपनी एक-एक अंगुली से गोवर्धन पर्वत को उठा लिया था। इससे संदेश दिया गया कि एकता में बहुत शक्ति होती है। राधा-श्रीकृष्ण का झूला में बालक-बालिका झूले में झूलते नजर आए। इस झांकी को भी बहुत सुंदर तरीके से सजाया गया। स्वर्णिम दुनिया की झलक में आने वाली स्वर्णिम दुनिया की झलक दिखाई गई कि सोने-जवाहरात के महल कैसे होंगे, नई दुनिया कैसे संपन्न होगी।

हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप

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