परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह के 61वें शहादत दिवस पर जोधपुर में दी श्रद्धांजलि

परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह के 61वें शहादत दिवस पर जोधपुर में दी श्रद्धांजलि
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परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह के 61वें शहादत दिवस पर जोधपुर में दी श्रद्धांजलि


जोधपुर, 18 नवंबर (हि.स.)। वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के नायक मेजर परमवीर चक्र शैतान सिंह के 61वें शहादत दिवस पर शनिवार को पावटा के परमवीर सर्कल पर उन्हें पूरे सैन्य सम्मान से श्रद्धाजंलि अर्पित की गई।

जन संपर्क अधिकारी (रक्षा) कर्नल अमिताभ शर्मा ने बताया कि इस मौके पर दर्शकों को उनकी वीरता का संक्षिप्त विवरण दिया गया। सैन्य अधिकारियों, सेवानिवृत्त रक्षा कर्मियों और नागरिकों ने उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। चौपासनी स्कूल, जहां परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह ने अपने स्कूल के दिनों में पढ़ाई की थी, के 35 छात्र भी भगवा पगड़ी में स्मारक पर पहुंचे और मिट्टी के बहादुर बेटे को श्रद्धांजलि अर्पित की। मेजर शैतान सिंह परमवीर चक्र की पोती भी इस बहादुर को श्रद्धांजलि देने के लिए मौजूद थीं। मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री के गार्ड ने पुष्पांजलि समारोह का आयोजन किया और उलटी राइफलों के साथ शहीद को मौन श्रद्धांजलि अर्पित की।

उन्होंने बताया कि मेजर शैतान सिंह जम्मू-कश्मीर के रेजांग ला में लगभग 17,000 फीट की ऊंचाई पर 13 कुमाऊं की एक कंपनी की कमान संभाल रहे थे। 18 नवंबर 1962 को चीनी सैनिकों ने उनके ठिकाने पर जबरदस्त हमला कर दिया। मेजर शैतान सिंह ऑपरेशन स्थल पर हावी रहे और अपने सैनिकों का मनोबल बनाए रखते हुए बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर एक प्लाटून पोस्ट से दूसरे प्लाटून पोस्ट पर चले गए। गंभीर रूप से घायल होने के बावजूद उन्होंने अपने लोगों को प्रोत्साहित करना और उनका नेतृत्व करना जारी रखा, जिन्होंने उनके बहादुर उदाहरण का अनुसरण करते हुए वीरतापूर्वक लड़ाई लड़ी और दुश्मन को भारी नुकसान पहुंचाया। जब उनके साथियों ने उन्हें ज़ख्मी हालत में वहां से हटाने की कोशिश की, तो उन्होंने इनकार कर दिया और उन्हें तब तक लड़ते रहने के लिए प्रेरित करते रहे, जब तक कि उन्होंने अंतिम सांस नहीं ले ली। उनकी विशिष्ट बहादुरी, प्रेरक नेतृत्व और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें परमवीर चक्र (मरणोपरांत) से सम्मानित किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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