विधानसभा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा को श्रद्धांजलि अर्पित

विधानसभा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा को श्रद्धांजलि अर्पित
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विधानसभा में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा को श्रद्धांजलि अर्पित


जयपुर, 29 जनवरी (हि.स.)। राजस्थान विधानसभा में सोमवार को गत दिनों दिवंगत हुए पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री हरिशंकर भाभड़ा के निधन पर संवेदना व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की गई। इस दौरान सदस्यों ने दो मिनट का मौन रखकर दिवंगत की आत्मा को शांति और उनके परिजनों को इस बिछोह को सहन करने की शक्ति प्रदान करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की। भाभड़ा के सम्मान में सदन की कार्यवाही को आधे घंटे के लिए स्थगित भी किया गया।

प्रारम्भ में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने शोक प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि हरिशंकर भाभड़ा का जन्म 6 अगस्त, 1928 को नागौर जिले के डीडवाना कस्बे में हुआ। उन्होंने बी.ए., एल.एल.बी. की उपाधियां प्राप्त कर वकालत को पेशे के रूप में अपनाया। भाभड़ा के संसदीय जीवन की शुरुआत वर्ष 1978 में राज्य सभा सांसद के रूप में हुई। वे आठवीं, नवीं और दसवीं राजस्थान विधानसभा में रतनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से विधायक रहे। नवीं एवं दसवीं विधान सभा में वर्ष 1990-1994 के दौरान वे विधानसभा अध्यक्ष के पद पर आसीन रहे। अध्यक्ष पद पर रहते हुए श्री भाभड़ा ने विधानसभा की स्वतंत्रता और निष्पक्षता को अक्षुण्ण रखा। उन्होंने सदन की कार्यवाही के सुचारू संचालन के लिए अनेक नवाचारों की शुरुआत की।

देवनानी ने शोक प्रस्ताव में कहा कि भाभड़ा की पहल पर राजस्थान विधानसभा में नई परम्परा के रूप में 16 सितम्बर, 1992 को सत्र की शुरुआत राष्ट्रगीत 'वन्देमातरम्..' से की गई तथा सत्र का समापन राष्ट्रगान 'जन गण मन....' से किया गया। यह परम्परा आज भी जारी है। भाभड़ा के निर्देशन में वर्ष 1993 में विधानसभा की त्रैमासिक शोध पत्रिका विधान बोधनी' सहित अन्य प्रकाशन शुरू किये गये। उनके सद् प्रयासों से ही 10 अगस्त, 1998 को नये विधानसभा भवन की आधारशिला रखी गई।

शोक प्रस्ताव में उल्लेख किया गया कि भाभड़ा के बहुआयामी व्यक्तित्व में एक प्रतिबद्ध सामाजिक कार्यकर्ता, जनप्रिय राजनेता और कुशल प्रशासक के गुणों को दृष्टिगत रखते हुए 6 अक्टूबर, 1994 को उन्हें राजस्थान का उपमुख्यमंत्री बनाया गया। इस दौरान भाभड़ा के पास वित्त विभाग का कार्यभार रहा। अध्ययन एवं लेखन में गहरी रुचि होने के कारण संसदीय लोकतंत्र व संवैधानिक विषयों तथा अन्य समसामयिक मुद्दों पर उनके लेख विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। इन चुनिन्दा लेखों एवं भाषणों का संकलन वर्ष 1994 में विधान सभा सचिवालय द्वारा प्रकाशित किया गया।

हिन्दुस्थान समाचार/ ईश्वर/संदीप

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