डर लगने लगा है कि कहीं भारत की स्थिति भी बांग्लादेश जैसी न हो जाए : सांसद राेत
बांसवाड़ा, 9 अगस्त (हि.स.)। सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि देश में जिस तरह हालात हैं। इससे यह डर लगने लगा है कि कहीं आने वाले समय में भारत की स्थिति भी बांग्लादेश देश जैसी न हो जाए। देश में धर्म और जाति की राजनीति हावी होती जा रही है। इसके चलते सभी समाजों में डर फैल गया है। लोग भयग्रस्त हैं। भारत आदिवासी पार्टी और अन्य पार्टियों ने भारतीय जनता पार्टी व एनडीए गठबंधन के नेताओं से धर्म और जाति की राजनीति नहीं करने का आह्वान किया है।
आदिवासी दिवस कार्यक्रम में जाने से पहले सांसद रोत ने शहर के कुशलबाग मैदान के पास स्थित भील राजा बांसिया की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद उन्होंने पत्रकारों से बातचीत की। रोत ने दावा किया कि भील प्रदेश जरूर बनेगा। बीते पांच साल में देशभर में सरकारी प्रोजेक्ट, गोल्ड माइन, टाइगर प्रोजेक्ट, पावर प्लांट के कारण साढ़े चार लाख आदिवासियों को पलायन करना पड़ा है। यह सरकारी आंकड़ा है। बांसवाड़ा में विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी परिवार संस्था की ओर से जिला स्तरीय कार्यक्रम खेल मैदान में आयोजित किया गया। बारिश के कारण कार्यक्रम देरी से शुरू हुआ। इसके बावजूद बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के लोग पहुंचे। लोग आदिवासी लोकगीत गाते, नाचते हुए पारंपरिक वेशभूषा में आए। कुछ युवाओं ने हाथ में तीर-कमान ले रखे थे। कार्यक्रम की शुरुआत असम के सांस्कृतिक दल ने प्रस्तुति देकर की। सांसद राजकुमार ने कहा कि असम की कल्चरल टीम को डीजे की जरूरत नहीं पड़ती। यही आदिवासी कल्चर है।
सांसद रोत ने कहा कि विश्व आदिवासी दिवस घोषणा संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1994 में की थी। उस वक्त मैं दो साल का था। यूएनओ ने इस दिवस की घोषणा इसलिए की क्योंकि पूरी दुनिया में आदिवासी समुदायों, जल जंगल जमीन, आदिवासी संस्कृति, आदिवासी धर्म-परंपराओं और रीति रिवाज को खत्म किया जा रहा था। आदिवासियों के साथ अन्याय और भेदभाव हो रहा था।
सांसद ने कहा कि आदिवासी दिवस हमारे त्योहारों होली-दिवाली से भी बड़ा त्योहार है। हमारे इलाके में 2015 से संगठन ने काम किया। संघर्ष किया। 2015 तक यह दिवस भारत के किसी भी कोने में नहीं मनाया जाता था। आदिवासी परिवार संगठन ने आदिवासी दिवस बनाने की शुरुआत की। डूंगरपुर जिले में हमने 2016 में आदिवासी दिवस मनाने के लिए प्रशासन से मैदान मांगा। लेकिन प्रशासन ने कहा कि ये दिवस नहीं मना सकते। इसके बाद हमने गोकुलपुरा में निजी जमीन पर आदिवासी दिवस मनाया। नाै अगस्त 2018 में डूंगरपुर जाम हो गया था। लाखों लोग आदिवासी दिवस मनाने जुटे। तत्कालीन वसुंधरा सरकार तक मैसेज गया। उसी दौरान वसुंधरा सरकार ने इस दिन ऐच्छिक अवकाश की घोषणा की थी। आदिवासी दिवस मनाया जाना गोविंद गुरु महाराज की मेहरबानी है। मावजी महाराज ने समाज को जागृत किया।
सांसद ने कहा कि 2019 में राजस्थान विधानसभा में हम दो विधायक थे। हमने तत्कालीन गहलोत सरकार पर दबाव बनाया। उसी साल तत्कालीन गहलोत सरकार ने राजकीय अवकाश घोषित किया। कुछ लोग कहते हैं कि हमने क्या किया। हमने यह किया कि आज आप आदिवासी दिवस की छुट्टी लेकर घर में बैठे हैं। अगर यह विचारधारा न होती तो दूसरी पार्टी के लोग आपको कभी आदिवासी दिवस का अवकाश नहीं देते।
रोत ने तंज कसते हुए कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि इस इलाके में माहौल बिगड़ गया है। अब समाज जाग गया है। अपने हक के लिए लड़ने को तैयार है। आपको लगता है कि माहौल खराब हो गया है।
हिन्दुस्थान समाचार / रोहित / संदीप
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