काजरी में जीरे की बुवाई एवं अधिक उपज पर दिया प्रशिक्षण
जोधपुर, 07 नवम्बर (हि.स.)। काजरी में आज किसानों को रबी के मौसम में जीरे की बुवाई पर जानकारी दी गई।
विभागाध्यक्ष डॉ. आरके कांकाणी ने बताया कि कि जीरे की फसल से अधिक उपज लेने के लिए बीज की बुवाई सीड ड्रिल से करने से उचित पंक्ति अन्तर उचित दूरी एवं गहराई पर व्यवस्थित रूप से होती है तथा बीज की मात्रा कम लगती है। उन्होंनें जीरे की फसल से अधिक उत्पादन हेतु जीरा की किस्म जीसी-4 एवं सीजेडसी-94 की विशेषताओं पर विस्तार से जानकारी दी। विभागाध्यक्ष डॉ. एसपीएस तंवर ने कहा कि पंक्तियों में बुवाई करने से छिटकवां बुवाई की अपेक्षा बीज की आवश्यकता कम होती है। पंक्तियों में बुवाई करने से बीज कम लगता है जिससे लागत कम एवं उपज अधिक एवं मुनाफा ज्यादा होता है। वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी जालम सिंह ने सीड ड्रिल से बुवाई करने की विधि का शोध क्षेत्र में जीवन्त प्रदर्शन किसानों को दिखाया एवं उनकी शंकाओं का समाधान भी किया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. एके शर्मा ने बीज के उपचार के लिए ट्राइकोडरमा तरल या काजरी मरू सेना पाउडर का उपयोग करने की सलाह दी। उन्होंने बताया कि एक बीघा जमीन में 20 किलों नीम की खल डाल दें। जो पोषक तत्व प्रदान करती है तथा कीटों से बचाव भी करती है। उखटा रोग एवं नेमोटोडस उपचार के लिए यह बेहतर है। जैविक विधि से उपचार के लिए नीम से निम्बोली हो उसे एकत्रित कर लें उसका तेल निकाल ले फसल को रोगों एवं कीटों से बचाने के लिए उसका छिडक़ाव करें।
हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/ईश्वर
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