आदिवासी समाज ने भरी हुंकार, हम हिंदू हैं, न कटेंगे-न बंटेंगे

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आदिवासी समाज ने भरी हुंकार, हम हिंदू हैं, न कटेंगे-न बंटेंगे


आदिवासी समाज ने भरी हुंकार, हम हिंदू हैं, न कटेंगे-न बंटेंगे


-उदयपुर में बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव कार्यशाला में धर्मांतरण के खिलाफ एकजुट हुआ जनजाति समाज

उदयपुर, 8 सितंबर (हि.स.)। दक्षिणी राजस्थान का आदिवासी समाज अपनी संस्कृति को जीवंत रखने व अधिकारों की रक्षा के लिए एकजुट होकर खड़ा हो गया है। आदिवासी समाज ने आदिवासी गौरव समिति की ओर से रविवार को आयोजित बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव कार्यशाला में एक सुर में कहा, ‘हम हिन्दू हैं, न कटेंगे-न बटेंगे’।

रविवार को सुखाड़िया विश्वविद्यालय के विवेकानंद सभागार में आयोजित बिरसा मुंडा जनजातीय गौरव कार्यशाला के जरिये जनजाति समाज ने अपनी संस्कृति व अधिकारों पर हमला करने वालों के खिलाफ आंदोलन का बिगुल बजा दिया। पिछले कुछ सालों में मेवाड़ वागड़ क्षेत्र में पनपी एक नई विचारधारा, जिसने आदिवासी समाज के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति व परंपराओं पर आक्रमण करने व उन्हें सनातन धर्म से अलग करने का प्रयास किया। ऐसे तत्वों के खिलाफ जमीनी स्तर पर मुकाबला करने व जनचेतना जागृत करने का संकल्प लिया।

इस कार्यशाला में मेवाड़ वागड़ क्षेत्र के जनजाति समाज के जनप्रतिनिधि, प्रबुद्धजन, संत समाज, सेवारत व सेवानिवृत्त अधिकारी, कर्मचारी, युवा, विद्यार्थी व महिला वर्ग की प्रभावी उपस्थिति रही। इस कार्यशाला में सभी ने एक स्वर में कहा कि वे हिंदू हैं, न कटेंगे और न ही बंटेंगे।

कार्यशाला में इस बात का ऐलान किया गया कि जो आदिवासी संस्कृति से विमुख हो कर ईसाई या इस्लाम धर्म अपना चुके हैं, उनकी डी-लिस्टिंग हो। ऐसे लोगों को आदिवासी आरक्षण व अन्य प्रदत्त सुविधाओं से अलग किया जाए।

मुख्य अतिथि भाजपा प्रदेशाध्यक्ष व राज्यसभा सांसद मदन राठौड़ ने कहा कि क्षेत्र में जो समाज विरोधी ताकतें उठ खड़ी हुई हैं, उनसे सावधान रहने की जरूरत है। यदि आज चुप बैठे रहे तो इसकी आंच आपके घरों तक भी आएगी। छोटी-मोटी घटनाओं को समझें। बांग्लादेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि वहां के शासकों ने समय रहते सावधानी बरती होती तो पिछले दिनों वहां जो हालात बने, उसकी नौबत ही नहीं आती। आदिवासी समाज को अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए 'अंग्रेजों की फूट डालो राज करो' की नीति पर चलने वाले राजनैतिक दलों व उनके नेताओं को मुंहतोड़ जवाब देने की आवश्यकता है।

कार्यक्रम संयोजक उदयपुर सांसद डॉ. मन्नालाल रावत ने अटल नमो पथ पुस्तक का उल्लेख करते हुए बताया कि जनजाति समाज की असली हितैषी भाजपा ही है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकारों ने ही देश में जनजाति वर्ग को ऊंचा उठाने का काम किया। आदिवासी महिला द्रोपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का काम हो या अलग से जनजाति मंत्रालय बनाने का, यह काम भाजपा सरकारों ने किए हैं। उन्होंने पीपीटी के माध्यम से बताया कि कांग्रेस व चर्च प्रेरित बाप पार्टी ने धर्मांतरण को बढ़ाने का काम किया है। रावत ने कहा कि आदिवासी ईसाई नहीं हो सकता व ईसाई आदिवासी नहीं हो सकता। हमें इस सत्य के लिए लड़ना होगा। यदि हमने सत्य बात नहीं की तो झूठी बात फैल जाएगी।

पूर्व सांसद महेंद्र जीत सिंह मालवीया ने बाप पार्टी के नेताओं को अलग भील प्रदेश बनाने की मांग पर जम कर घेरा। मालवीया ने कहा कि आज दक्षिणी राजस्थान में सरपंच, प्रधान, जिला प्रमुख, विधायक, सांसद तक के सभी पदों पर आदिवासी बैठे हैं। दो राज्यों के मुख्यमंत्री आदिवासी हैं। देश की राष्ट्रपति आदिवासी महिला हैं। इसके बाद उन्हें कौन सा भील प्रदेश चाहिए।

प्रदेश के जनजाति मंत्री बाबूलाल खराड़ी ने सावधानी हटी, दुर्घटना घटी विषय पर बोलते हुए कहा कि क्षेत्र में अंग्रेजों की नीति थी कि इधर मरे या उधर मरे, भारतीय ही मरे। उसी नीति को आगे बढ़ाने वाली बाप पार्टी के नेता भी आदिवासियों को ही मारने का काम कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आदिवासी बेटियों की शादी मुस्लिम से करा दो। यह लव जेहाद का दूसरा रूप है। इन षड्यंत्रों से सावधान रहना होगा।

कार्यशाला में भीलवाड़ा सांसद व भाजपा के प्रदेश संगठन मंत्री दामोदर अग्रवाल भी उपस्थित थे। सांसद चुन्नीलाल गरासिया, प्रदेश के राजस्व मंत्री हेमंत मीणा, आबूरोड पिंडवाड़ा विधायक समाराम गरासिया, विधायक फूलसिंह मीणा, संत समाज के प्रतिनिधि गुलाब गिरीजी महाराज, बंशी कटारा, अनिता कटारा, मुकेश रावत ने भी विचार रखे। इस दौरान पूर्व सांसद कनकमल कटारा, धनसिंह रावत, शहर विधायक ताराचंद जैन, पूर्व विधायक नानालाल अहारी, भाजपा शहर अध्यक्ष रवीन्द्र श्रीमाली, देहात जिलाध्यक्ष चंद्रगुप्त सिंह चौहान सहित अन्य पार्टी पदाधिकारी मंचासीन थे।

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हिन्दुस्थान समाचार / सुनीता

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