गरीब नवाज की दरगाह में आठ को चढ़ेगा झंडा, झंडे की रस्म के साथ होगी उर्स की शुरुआत
अजमेर, 6 जनवरी (हि.स.)। सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती के 812वें उर्स की अनौपचारिक शुरुआत आठ जनवरी से होने जा रही है। आठ जनवरी को दरगाह की सबसे ऊंची इमारत बुलंद दरवाजे पर भीलवाड़ा के गौरी परिवार की ओर से झंडा चढ़ाने की रस्म अदा की जाएगी। इसके साथ ही देश और दुनिया से बड़ी संख्या में जायरीन का अजमेर दरगाह में जियारत के लिए आना शुरू हो जाएगा। उर्स की विधिवत शुरुआत 12 या 13 जनवरी को रजब का चांद दिखने पर होगी।
परंपरा के अनुसार झंडा लेकर भीलवाड़ा का गौरी परिवार सात जनवरी को दरगाह पहुंचेगा। कई सदियों से गौरी परिवार के पूर्वज ही उर्स से पहले झंडा लेकर आते रहे हैं। दरगाह गेस्ट हाउस से बैंड बाजों के साथ जुलूस के रूप में झंडे को निजाम गेट होते हुए बुलंद दरवाजे तक लाया जाता है। यहां बड़ी संख्या में जायरीन झंडे को छूने और चूमने के लिए बेताब रहते हैं। झंडे को बुलंद दरवाजे के शिखर तक पहुंचाने के बाद उसे चढ़ाया जाता है। झंडे की रस्म के साथ ही उर्स की अनौपचारिक शुरुआत हो जाती है। यह सदियों पुरानी परंपरा है। इसका मकसद उर्स के नजदीक आने की सूचना है। इसके बाद से ही देश और दुनिया से जायरीन के अजमेर आने का सिलसिला शुरू हो जाता है। 12 या 13 जनवरी को रजब के चांद के दिखने के साथ ही उर्स की विधिवत शुरुआत होगी। 12 जनवरी को साल में चार मर्तबा खुलने वाला दरगाह में जन्नती दरवाजा आम जायरीन के लिए खोल दिया जाएगा। 12 जनवरी को चांद नहीं दिखता है तो इसे रात को बंद कर अगले दिन सुबह खोला जाएगा।
चांद दिखने के साथ ही दरगाह में कव्वालियों का दौर भी शुरू हो जाएगा। दरगाह दीवान की सदारत में महफिल खाने में रात को महफिलें होंगी। शाही कव्वाल परंपरागत कव्वालियां पेश करेंगे। इनके अलावा भी देशभर से आने वाले कई कव्वाल दरगाह में कव्वाली पेश कर अपनी अकीदत का नजराना पेश करेंगे। उर्स के मौके पर दरगाह में खिदमत का समय बदल जाएगा। आम दिनों में दरगाह में आस्ताने को दिन में तीन से चार बजे तक खिदमत के लिए बंद किया जाता है। उर्स के मौक़े देर रात मजार का ग़ुस्ल देने के दौरान आस्ताने को कुछ देर के लिए बंद किया जाएगा। देश में एकमात्र ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह ही है जहां छह दिन उर्स मनाया जाता है, जबकि शेष सूफी दरगाह में एक या दो दिन ही उर्स मनाया जाता है। छठें दिन छोटे कुल की रस्म होती है। इस दिन जायरीन केवड़े और गुलाब जल से दरगाह को धोते हैं।
दरगाह में उर्स के मौके पर हर आम और खास लोग अपनी ओर से अक़ीदत के तौर पर चादर पेश करते हैं। प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्री समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी अपनी ओर से दरगाह में चादर पेश करवाते हैं। इनके अलावा अन्य देशों से भी सरकारों और आमजन की ओर से दरगाह में चादर पेश की जाती है। उर्स के मौके पर पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से भी जायरीन का जत्था अजमेर में दरगाह जियारत के लिए आता रहा है। इस बार भी लगभग 325 पाकिस्तानी जायरीन अजमेर जियारत के लिए आएंगे। पाक जायरीन चादर भी पेश करेंगे। उर्स के दौरान देश के कोने-कोने से हजारों की संख्या में कलंदर अजमेर आएंगे। यह सभी कलंदर महरौली से पैदल अजमेर आते है। यहां ख्वाजा गरीब नवाज के चिल्ले से ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह तक झड़ी ( झंडे ) का जुलूस निकालते हैं। इनमें सभी धर्म से जुड़े कलंदर होते है। जुलूस के दौरान कलंदर कई हैरत अंगेज कारनामे भी दिखाते हैं।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप
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