चित्तौड़गढ़ में वर्षों पुराना है मिठाई बाजार, खुद तैयार करते हैं मावा
चित्तौड़गढ़, 26 अक्टूबर (हि.स.)। ऐतिहासिक चित्तौड़ दुर्ग की तहलटी में अब भी पुरानी बसावट मौजूद है। संकड़ी गलियां एवं पास-पास छोटे मकान आज भी चित्तौड़ की पहचान है। इन्हीं के बीच राजा महाराजाओं के समय से बना हुआ मिठाई बाजार हर समय मिठाइयों से महकता हुआ महसूस किया जाता है। इस वर्ष दीपावली को लेकर मिठाई गली के व्यापारी तैयारी में जुटे हुए हैं। यहां विशेष तौर पर मरके की मिठाई की डिमांड ज्यादा रहती है, जो की चावल के आटे से घी में तल के बनाई जाती है। वहीं अन्य प्रकार की मिठाइयां भी तैयार की जा रही है, जिससे कि इस बार दीपावली पर विशेष ग्राहकी की आस है। बड़ी बात यह कि सभी दुकानदार दूध से मावा भी खुद बनाते है बाहर से नहीं मंगवाते।
जानकारी में सामने आया कि चित्तौड़गढ़ शहर के भीतरी हिस्से में आज भी पुरानी बसावट है, जो कि दुर्ग की तलहटी में है। यहां संकड़ी गलियां एवं पत्थर के बने मकान अपनी पहचान रखते हैं। यहां वर्षों पुराना मिठाइयों को लेकर बाजार बाजार बना हुआ है, जो भी पुरानी बसावट के दौरान था। इसकी पहचान आज भी ही मिठाई बाजार के नाम से ही है। सामान्य दिनों में भी शुद्ध मिठाई के लिए लोग यहां दुकानों पर खरीदारी के लिए जाते हैं। वहीं दीपावली पर विशेष रौनक देखी जाती है। परंपरागत मिठाइयों की बात की जाए तो इसी बाजार में हर समय उपलब्ध रहती है। मुख्य तौर पर यहां बेसन चक्की, देसी मावा बर्फी, गुलाब जामुन, मक्खन बड़ा, घेवर लड्डू व जलेबी हर समय तैयार रहते हैं। बड़ी यह कि दूध से मावा भी दुकानों पर ही तैयार करते हैं और बाहर से नहीं मंगवाते। दीपावली के त्याेहार को देखते हुए बिक्री को लेकर इस बाजार में भीड़ रहती है। एक सप्ताह पहले ही व्यापारी तैयारी में जुटे हुए दिखाई दे रहे हैं। यहां रहने वाले योगेश पांडिया ने बताया कि यह बाजार राजा-महाराजाओं के समय का है। कभी चित्तौड़ी आठम (चित्तौड़ का स्थापना) दिवस मनता था तो महाराणा की सवारी यहां से निकलती थी। वर्षों से यहां उनकी पुश्तैनी दुकान है। कई पीढ़ी उनकी यहां दुकान लगाते आ रही है। पांडिया ने बताया कि अब लोग इस बाजार में कम ही आते है। वहीं रतनसिंह ने बताया कि दीपावली पर मरके की मिठाई की मांग रहती है। यह मिठाई केवल दीपावली पर ही बनती है।
महालक्ष्मी पूजन में लेते हैं मरके की मिठाई
जानकारी में सामने आया कि मरके की मिठाई दीपावली मेवाड़ में ही बनती है और एक माह तक खराब नहीं होती है। दीपावली के दिन महालक्ष्मी में इस मिठाई का उपयोग होता है। इस कारण यह मिठाई दीपावली पर हर घर में जाती है। मिठाई लंबे समय तक खराब नहीं होगी इसलिए बाहर भी भेजी जाती है।
संकड़े बाजार में नहीं आते लोग, दुकानदार कर रहे पलायन
इधर, मिठाई बाजार में अब ग्राहकी घटने लगी है। इसके पीछे कारण यह है कि यह बाजार घनी आबादी के बीच है और वाहनों की आवाजाही बहुत कम होती है। दुपहिया वाहन पर ही इस मार्केट में आया जा सकता है, इसमें भी जाम की स्थिति रहती है। मिठाइयों का वजन उठा कर आधे से एक किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है। इसके कारण लोग इस बाजार में आना कम पसंद करते हैं। कुछ लोगों ने तो यहां से दुकान बाजार से बाहर लगा दी है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल
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