सर्दी के मौसम में 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाते हैं स्ट्रोक के मामलेः डॉ. बृजलाल

सर्दी के मौसम में 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाते हैं स्ट्रोक के मामलेः डॉ. बृजलाल
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सर्दी के मौसम में 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाते हैं स्ट्रोक के मामलेः डॉ. बृजलाल


जयपुर, 20 दिसंबर (हि.स.)। जैसे-जैसे तापमान में गिरावट होती जा रही है वैसे-वैसे सर्दी अपना तेवर दिखा रही है। कड़ाके की ठंड घर के बुजुर्गों के लिए घातक होती है। इस मौसम में लोगों को खास तौर पर 60 प्लस की आयु वालों को स्ट्रोक का खतरा ज्यादा होता है। वहीं मोटापा, शुगर और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को भी स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इस मौसम में स्ट्रोक से होने वाली मौतों के मामले 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। ऐसे में सर्दी के मौसम में उन लोगों को अपनी केयर का ज्यादा ध्यान रखने की जरूरत होती है।

मणिपाल हॉस्पिटल जयपुर न्यूरालॉजिस्ट डॉ. बृजलाल ने बताया कि गर्मियों के मुकाबले सर्दी के मौसम में स्ट्रोक से होने वाली मौत के मामले 26 से 36 फीसदी तक बढ़ जाते हैं। इसका कारण ये है कि सर्दी में शरीर के तापमान में कमी और विटामीन-डी के स्तर में कमी एवं रक्त के गाढ़ेपन में वृद्धि स्ट्रोक का जोखिम बढ़ा देती है। वहीं सर्दियों में चलने वाली ठंडी तेज हवा शरीर के तापमान को और कम कर देती है, इस कारण ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है, जिससे स्ट्रोक का जोखिम ज्यादा रहता है। खून की धमनियों में सिकुडऩ या क्लॉटिंग (नलियों में वसा जमने) से मस्तिष्क में खून का प्रवाह बाधित होने पर स्ट्रोक पड़ता है, जबकि मस्तिष्क के भीतर खून की धमनियां फटने पर ब्रेन हैमरेज होता है। उन्होंने बताया कि युवाओं में बढ़ते अल्कोहल, धूम्रपान, जंक और फास्ट फूड के चलन के कारण आज बुजुर्गों के साथ-साथ युवा भी स्ट्रोक की चपेट में आने लगे हैं। स्ट्रोक के कुल पीड़ितों में 30 फीसदी युवा हैं, जिनकी उम्र 40 वर्ष से कम है और साल दर साल यह आंकड़ा तेजी से बढ़ रहा है। इन युवाओं में 80 फीसदी पुरुष हैं।

डॉ. बृजलाल ने बताया कि सर्दियों के मौसम में अगर हम थोड़ी सावधानियां बरते तो स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक टाला जा सकता है। स्ट्रोक से बचने के लिए हमें इन सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए, जैसे जहां तक हो सके गुनगुना पानी पीएं, सुबह जल्दी सैर या मॉर्निंग वॉक पर न निकलें. ठंड से बचने के लिए शरीर को पूरी तरह से ढंक कर रखें, खासतौर पर सिर को, ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल व मधुमेह के मरीज नियमित दवा खाएं और इन्हे कंट्रोल में रखें और सबसे जरूरी बात यह है कि इस तरह की कोई भी समस्या आने के बाद तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर से परामर्श और उपचार लें।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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