जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित

जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित
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जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित


जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित


जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित


जैसलमेर, 21 दिसंबर (हि.स.)। फ़िल्म निर्देशक भारतरत्न सत्यजीत रे की राजस्थानी पृष्ठभूमि पर बनी सफलतम कालजयी फ़िल्म सोनार केल्ला के 50वें साल की दहलीज पर कोलकाता स्थित राजस्थान सूचना केंद्र में सेमिनार का आयोजन किया गया। राजस्थान सांस्कृतिक विकास परिषद कोलकाता की ओर से आयोजित इस सेमिनार में जैसलमेर के सोनार किले में सत्यजीत राय की प्रतिमा स्थापित करने का प्रस्ताव पारित किया गया।

सूचना और जनसंपर्क विभाग के सहायक निदेशक हिंगलाज दान रतनू ने कहा कि सोनार केल्ला फ़िल्म से जैसलमेर को एक विशिष्ट पहचान और ख्याति मिली जिससे वहां पर्यटन भारी मात्रा में बढ़ावा मिला। सेमिनार में पारित प्रस्तावों का समर्थन करते हुए घोषणा की कि सोनार किले में सटीक जगह पर सत्यजीत राय की मूर्ति लगेगी। जादवपुर विश्व विद्यालय की फ़िल्म स्टडीज विभाग के पूर्व प्रोफेसर, लेखक, बांग्ला साहित्य- संस्कृति और सिनेमा के शिखर सम्मान से सम्मानित प्रो. संजय मुखोपाध्याय ने सेमिनार का उद्धाटन करते हुए कहा कि बंगाल और राजस्थान के बीच बंगाल के कई मनीषियों ने सेतु बंधन का कार्य किया है। इनमें बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय, रबीन्द्रनाथ ठाकुर और सत्यजीत राय प्रमुख है। सत्यजीत राय ने सोनार केल्ला फ़िल्म बनाकर राजस्थान के साथ मैत्री संबंध बनाने में विशेष भूमिका निभाई है। भारत सरकार के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, कोलकाता सर्किल के सुपेरिटेंडिंग आर्कियोलॉजिस्ट डॉ. राजेन्द्र यादव ने सोनार केल्ला के आर्किटेक्ट और पुरातात्विक महत्व के बारे में प्रेजेंटेशन देते हुए जैसलमेर की प्राचीन हवेलियों, उनके स्थापत्य और महत्व पर प्रकाश डाला।नेशनल अवार्ड के ज्यूरी सदस्य, फ़िल्म क्रिटिक और लेखक शिलादित्य सेन ने सोनार केल्ला को लेकर बंगाली नस्टोलिजिया और उन्माद के बारे में बताया। बांग्ला दैनिक आनंद बाज़ार पत्रिका के लिए विशेष विषयों पर लिखने वाले श्री सेन ने कहा कि सोनार केल्ला के माध्यम से सत्यजित राय ने बंगालियों का परिचय राजस्थान से कराया।

फ़िल्म इतिहासकार, लेखक और सत्यजीत राय के लेखन और फिल्मों के विशेषज्ञ, बांग्ला दैनिक आजकाल के पूर्व लाइब्रेरियन देबाशीष मुखोपाध्याय ने सोनार केल्ला पुस्तक और फ़िल्म का तुलनात्मक अध्ययन करते हुए फ़िल्म की बारीकियों पर चर्चा की।

हिन्दुस्थान समाचार/चंद्रशेखर भाटिया/ईश्वर

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