जाट महासभा के विशेष अधिवेशन में समाज के हित में काम करने वाले उम्मीदवार को वोट देने का आह्वान

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जाट महासभा के विशेष अधिवेशन में समाज के हित में काम करने वाले उम्मीदवार को वोट देने का आह्वान


जयपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। राजस्थान जाट महासभा का विशेष अधिवेशन अखिल भारतीय जाट महासभा के राष्ट्रीय महासचिव युद्धवीर सिंह तथा राजाराम मील की अध्यक्षता में शनिवार को आयोजित हुआ। इसमें पूरे प्रदेश के सभी जिलों से हजारों की संख्या में समाज के प्रतिनिधि उपस्थित हुए। इस अधिवेशन में गहन विचार-विमर्श के पश्चात कई विषयों पर विचार-मंथन किया गया।

मुख्य अतिथि युद्धवीर सिंह ने विशेष अधिवेशन को सबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान विधानसभा के चुनाव होने जा रहे है, इसमें जो उम्मीदवार जाट समाज के हित में काम नही करता उसका समर्थन नही करें। हमें एमएलए बनाने से कुछ नहीं होता, हमें नेता तैयार करने है। वर्तमान विधायकों में अब ऐसा कोई नेता नही है जो मुख्यमंत्री के सामने अपनी बात कह सके। इसी का परिणाम है कि केसरी सिंह जैसे विवादित व्यक्ति को आरपीएससी जैसे संवैधानिक संस्था का सदस्य बना दिया गया। अध्यक्षीय उद्बोधन में राजाराम मील ने कहा कि कांग्रेस पार्टी अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद लगातार जाट जाति के उम्मीदवारों की टिकट घटाती जा रही है। पहले समाज को 40 टिकट दी जाती थी, अब 30 सीट से भी कम कर दी गई। उन्होंने कहा कि हर जिले के पदाधिकारी को अलग से मैसेज दे दिया जाएगा कि किस उम्मीदवार के पक्ष में मतदान करना है। हमें अनुसूचित जाति, जनजाति एवं अन्य पिछड़ा वर्ग के साथ समन्वय बनाते हुए सामाजिक समरसता के लिए पूरा प्रयास करना चाहिए।

अधिकांश वक्ताओं ने कहा कि अशोक गहलोत के नेतृत्व में जब-जब चुनाव लड़ा है तब-तब कांग्रेस की करारी हार हुई है। समाज के विकास और उन्नति की दशा-दिशा तय करने में सरकार की भी महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। अभी विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं। इसलिए विचार किया गया कि कौन व्यक्ति विधायक बनकर हमारे समाज का समुचित प्रतिनिधित्व कर सकता है और कौन से राजनीतिक दल की सरकार व कौन व्यक्ति मुख्यमंत्री के रूप में सभी के हित में रहेगा। सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि सरकार में जनप्रतिनिधियों का महत्व तो रहता ही है लेकिन वर्तमान व्यवस्था में मुख्यमंत्री समस्त जनप्रतिनिधियों, विधायकों एवं मंत्रियों के मुक़ाबले अत्यधिक शक्तिशाली एवं प्रभावी है। जाट समाज के लिए जाट मुख्यमंत्री होना प्रमुख और एकमात्र मुद्दा है।

वक्ताओं ने कहा कि यह तथ्य सर्व विदित है कि राजस्थान में हमारा समाज सबसे बड़ा समाज है। इसलिए 120 विधानसभा क्षेत्रों में हमारा समाज हार जीत तय करता हैं। हमारे समाज ने 2003 और 2013 में कांग्रेस को पराजित किया। लेकिन 2008 व 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने किसी दूसरे नेता का चेहरा दिखा कर हमारे समाज के वोट प्राप्त कर सरकार बनाकर पुनः गहलोत को ही थोप दिया। सन् 1998 के विधानसभा चुनाव से पूर्व कांग्रेस द्वारा घोषणा की गई थी कि उनकी सरकार बनने पर जाट समाज को आरक्षण दिया जायेगा परन्तु जब कांग्रेस की सरकार बन गई और मुख्यमंत्री गहलोत बने तो जाट समाज को आरक्षण देने से स्पष्ट रूप से इन्कार कर दिया गया। वक्ताओं ने विशेषकर भारतीय सेना से सेवानिवृत कर्नल रैंक के अधिकारियों ने अग्निवीर योजना की निन्दा की और मांग की कि इस योजना को जल्दी से जल्दी समाप्त की जाएं, क्योंकि इसने सुरक्षा बलों को कमजोर कर दिया, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा भी कमजोर हुई है। सैनिक युवाओं में निराशा एवं देश प्रेम का जज्बा कम हुआ है। जाट समाज भारत सरकार के इस निर्णय की निन्दा करता है तथा मांग करता है कि भारत सरकार इस पर पुनर्विचार कर सुरक्षा बलों में पुरानी व्यवस्था को लागू करे।

अधिवेशन में ओबीसी आरक्षण उनकी जनसंख्या के अनुपात में 21 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने तथा ओबीसी आरक्षण की विसंगतियों को दूर करने और कानून के अनुसार पूरा लाभ देने की मांग की गई। इसमें अधिकारी और कर्मचारी बार-बार अड़चने पैदा करते है उनके विरूद्ध कार्रवाई की जावे और ओबीसी को आरक्षण का पूरा लाभ दिया जावे। अधिवेशन में यह भी निर्णय किया गया कि धौलपुर भरतपुर एवं अन्य राज्यों के जाटों को केन्द्रीय सेवाओं में आरक्षण देने के लिए 20 नवम्बर 2023 को दिल्ली में आयोज्य महासम्मेलन में अधिक से अधिक भागीदारी सुनिश्चित की जावे जहां राज्यों को केन्द्रीय सेवाओं जाट समाज को आरक्षण देने की पुरजोर मांगी की जायेगी।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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