जेकेके में श्री रामलीला महोत्सव की शुरुआत: अभिनय के साथ बही अध्यात्म की बयार

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जेकेके में श्री रामलीला महोत्सव की शुरुआत: अभिनय के साथ बही अध्यात्म की बयार


जेकेके में श्री रामलीला महोत्सव की शुरुआत: अभिनय के साथ बही अध्यात्म की बयार


जयपुर, 8 अक्टूबर (हि.स.)। जवाहर कला केन्द्र की ओर से आयोजित श्री रामलीला महोत्सव की मंगलवार को शुरुआत हुई। वरिष्ठ नाट्य निर्देशक अशोक राही के निर्देशन में कलाकारों ने श्री राम के जीवन प्रसंगों को मंच पर साकार किया। बड़ी संख्या में दर्शकों ने इसमें हिस्सा लिया। युवा कलाकारों के अभिनय, अद्भुत प्रकाश संयोजन और मधुर गीत और नृत्य प्रस्तुतियों ने मंचन को खास बनाया।

प्रस्तुति की शुरुआत में मधुर चौपाइयां मंच पर गूंजती है। राक्षसराज रावण रक्ष संस्कृति के विस्तार की मनोकामना लिए देवताओं के राजा इन्द्र से युद्ध करने पहुंचता है। रावण इन्द्र को परास्त कर उसे श्रीहीन कर देते हैं। रावण, विभीषण और कुंभकरण तपस्या कर ब्रह्मा से मन वांछित वरदान पाते हैं। रावण अपने ईष्ट शंकर की तपस्या में फिर लीन हो जाता है। इसी बीच शिव तांडव की प्रस्तुति से माहौल शिवमय हो जाता है। रावण अब वेदमती को अपने अधीन करना चाहता है। वेदमती अगले जन्म में भूमिजा सीता के रूप में रावण के विनाश का कारण बनने का श्राप देती हैं। इसी तरह रावण रम्भा का तिरस्कार करता है और नलकूबर के श्राप का भागी बनता है। रावण अब लंका की ओर कूच करता है। कुबेर की नगरी लंका में भरतनाट्यम नृत्य की पेशकश के साथ राजमहल के वैभव को दर्शाया गया। कुबेर को परास्त कर रावण लंका पर राज करता है।

इसके बाद मंच पर दशरथ दरबार का दृश्य साकार होता। ‘वो इंद्रपुरी सी नगरी थी, जो बसी हुई सरयू तट पर, दशरथ सम्राट अयोध्या के देवों में प्रिय ऐसे नरवर।’ गीत में दरबार की महिमा झलकती है। ऋषि वशिष्ठ पुत्रेष्टि यज्ञ का सुझाव देकर राजा दशरथ की पुत्र प्राप्ति की चिंता का निवारण करते हैं। इस बीच राम जन्म का दृश्य देखकर सभी भाव-विभोर हो उठते हैं। ‘ठुमक-ठुमक चले रामचंद्र बाजत पैंजनियां' गीत पर कथक की प्रस्तुति देख सभी आनंदित होते हैं।

ऋषि विश्वामित्र के वचन से राजा दशरथ चिंतित हो उठते हैं। वे राम-लक्ष्मण को धर्मरक्षार्थ भेजते हैं। दोनों राजकुमार ताड़का, मारीच और सुबाहु जैसे राक्षसों का वध करते हैं। मिथिला में सीता स्वयंवर के दृश्य में अलग-अलग राजाओं के किरदारों के जरिए विशिष्ट हास्य संयोजन किया गया। राम शिव धनुष को भंग कर सीता से विवाह करते हैं। ऋषि परशुराम और लक्ष्मण के संवाद से दरबार का माहौल गर्मा जाता है। राम की शालीनता परशुराम को प्रभावित करती है और वे राम-सीता की जोड़ी को आशीर्वाद देते हैं। इसी के साथ पहले दिन की प्रस्तुति का समापन होता है।

प्रस्तुति के दौरान संगीत में हरिहरशरण भट्ट ने सितार, महेंद्र डांगी ने तबला, मयंक शर्मा ने की-बोर्ड, अमीरुद्दीन ने सारंगी, ललित गोस्वामी ने पखावज और मुकेश खांडे ने ऑक्टोपैड पर संगत की। स्वाति अग्रवाल कथक और मीनाक्षी लखोटिया ने भरतनाट्यम की नृत्य संरचना की। प्रियांशु पारीक, अमित झा, अक्षत शर्मा, झनक शर्मा और अभिषेक सहित अन्य युवा कलाकारों ने चौपाई, दोहा और गीत प्रस्तुत किए।

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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश

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