बैकुंठ एकादशी: बैकुंठ द्वार से बाहर आए श्री रमा बैकुंठ नाथ और भक्त
अजमेर, 23 दिसंबर (हि.स.)। पुष्कर के नए श्रीरंगजी के मंदिर में शनिवार से 10 दिवसीय बैकुंठ महोत्सव शुरू हो गया है। मंदिर में 99 वर्षों से बैकुंठ महोत्सव मनाने की परंपरा रही है। इस दिन मंदिर में साल में केवल बैकुंठ एकादशी पर ढाई घंटे खुलने वाला बैकुंठ द्वार भी भक्त और भगवान के लिए खोल दिया गया। मंदिर गर्भ गृह से भगवान रमाबैकुंठ नाथ और दोनों पत्नियों श्रीदेवी और भू देवी के साथ पालकी की सवारी बैकुंठ द्वार से बाहर निकली। इस सवारी के पीछे सैकड़ों की संख्या में भक्त भी बैकुंठ द्वार से बाहर आए। ढाई घंटे बाद बैकुंठ द्वार फिर से बंद कर दिया।
नए श्रीरंगजी मंदिर में भगवान बैकुंठ नाथ अपनी पत्नी श्रीदेवी के साथ विराजते हैं। गणेश, महालक्ष्मी और गोदांबाजी का भी यह मंदिर है। मंदिर परिसर में ही बैकुंठ द्वार भी है, जो आज बैकुंठ एकादशी के दिन मात्र ढाई घंटे के लिए खुला है। मंदिर में पूजा-अर्चना समेत सभी धार्मिक अनुष्ठान दक्षिण भारतीय परंपरा के अनुसार ही होती है। सुबह 4 बजे पुष्कर के पवित्र सरोवर से भगवान के स्नान के लिए जल लाया गया। खास बात यह है कि जल मंदिर के प्रवेश द्वार तक पहुंचता है, तब गौशाला से एक गाय अपने आप मंदिर आती है। यहां भगवान से पहले गौ माता की पूजा होती है। पूजन के बाद गाय वापस गौशाला लौट जाती है। मंदिर में ऐसा नित्य होता है।
मंदिर के व्यवस्थापक सत्यनारायण रामावत बताते हैं कि भगवान रमा बैकुंठ नाथ का यह मंदिर 99 वर्ष पुराना है। मंदिर में रमावैकुंठ एकादशी का पर्व मनाने की परंपरा मंदिर के निर्माण के वक्त से रही है। मंदिर परिसर में बैकुंठ द्वार वर्ष में एक बार ही खोला जाता है। आज बैकुंठ एकादशी के दिन भक्त और भगवान के निकलने के लिए यह बैकुंठ द्वार ढाई घंटे तक खुला रहा। वैकुंठ एकादशी से अगले 10 दिन तक बैकुंठ महोत्सव मंदिर में परंपरा के अनुसार मनाया जाएगा। शाम को 5 बजे प्रतिदिन भगवान रमा बैकुंठ नाथ की सवारी निकली जाएगी और मंदिर के ढाई फेरे लिए जाएंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप
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