मलमास शुरू, अब एक माह नहीं गूंजेगी शहनाई
जोधपुर, 16 दिसम्बर (हि.स.)। हिंदू धर्म पंचांग के अनुसार शनिवार से मलमास का प्रारंभ हो गया। मलमास शुरू होने के साथ ही अब अगले एक महीने यानि मकर सक्रांति तक विवाह और अन्य मांगलिक कार्यक्रम नहीं हो सकेंग। सनातन मान्यता के अनुसार मलमास की अवधि में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और दान-पुण्य का महत्व बढ़ जाता है। मलमास 14 जनवरी को मध्यरात्रि बाद 2.45 बजे समाप्त होगा।
मलमास शुरू होने के साथ अगले एक महीने तक वैवाहिक आयोजनों सहित सभी तरह के मांगलिक कार्यक्रमों पर विराम लग गया है। मलमास को खरमास भी कहा जाता है। इस एक माह की अवधि में भगवान सूर्य धीमी गति से चलते हैं। जब सूर्य देव धनु राशि में प्रवेश करते हैं तो उस दिन से लेकर मकर राशि में प्रवेश तक के काल को मलमास या खरमास कहते हैं।
मलमास के खत्म होने पर 15 जनवरी को सुबह से दिनभर मकर संक्रांति का दान-पुण्य काल रहेगा। मलमास के दौरान श्रद्धालु लोग तिल व तेल से बनी वस्तुओं, गर्म वस्त्र आदि का दान-पुण्य करेंगे। मंदिरों में मल थाली के आयोजन भी होंगे। मलमास में मांगलिक कार्य विवाह, गृह प्रवेश, नींव पूजन, नव प्रतिष्ठान प्रारंभ, यज्ञोपवित संस्कार नहीं हो सकते, लेकिन नवजात बच्चों के नामकरण और नक्षत्र शांति पूजा हो सकती है। मलमास खत्म होने के बाद 15 जनवरी से अगले दो माह यानि की मार्च तक विवाह और मांगलिक कार्यक्रम के मुहूर्त रहेंगे। ऐसे में अगले एक माह तक शहनाई की गूंज थम जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/सतीश/संदीप
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