डॉ. अंजलि शर्मा ने ब्रिटिश संसद में हथकरघा और लोक कलाओं पर ने दिखाया हुनर

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डॉ. अंजलि शर्मा ने ब्रिटिश संसद में हथकरघा और लोक कलाओं पर ने दिखाया हुनर


डॉ. अंजलि शर्मा ने ब्रिटिश संसद में हथकरघा और लोक कलाओं पर ने दिखाया हुनर


डॉ. अंजलि शर्मा ने ब्रिटिश संसद में हथकरघा और लोक कलाओं पर ने दिखाया हुनर


भीलवाड़ा, 27 नवम्बर, (हिस)। गुलाबपुरा की बेटी डा. अंजली शर्मा ने ब्रिटिश संसद में राजस्थान की हथकरघा और लोक कलाओं पर अपना प्रदर्शन करके प्रदेश को गौरान्वित किया है। भारतीय हस्तशिल्प परिचय के इस आकर्षक कार्यक्रम की शुरुआत में राजस्थान के हथकरघा और पारंपरिक लोक कला को प्रदर्शित किया गया है।

उल्लेखनीय है कि गुलाबपुरा की बेटी राजस्थान मूल की डॉ. अंजलि शर्मा तिवारी लंदन स्थित भारतीय शास्त्रीय, राजस्थानी लोक संगीत गायिका, तालवादक और संगीतकार हैं। डॉ. अंजलि शर्मा तिवारी के पिता अरूणकांत शर्मा शाहपुरा में सार्वजनिक निर्माण विभाग में अधिशाषी अभियंता पद से सेवानिवृत हुए है। शाहपुरा में भी हथकरघा को कोली समाज के लोग आज भी जिंदा रखे हुए है।

डॉ. अंजलि शर्मा तिवारी के अनुसार विश्व विरासत सप्ताह के अंर्तगत आयोजित कार्यक्रमों की श्रृखंला में ब्रिटिश संसद के हाउस ऑफ लॉर्ड्स में भारत के विभिन्न क्षेत्रों के जीवंत हथकरघा कला का परिचय विश्व पटल पर कराने का एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था। हस्तशिल्पम नामक यह कार्यक्रम “संस्कृति उत्कृष्टता केंद्र” द्वारा आयोजित किया गया था। यह यूके स्थित एक कला दान संस्था है। इस कार्यक्रम की मेजबानी यूके के पूर्व ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन मंत्री और वर्तमान में रोहेम्प्टन विश्वविद्यालय के चांसलर बैरोनेस वर्मा ने की।

गुलाबपुरा की बेटी डॉ. अंजली शर्मा तिवारी ने राजस्थान की कोटा डोरिया, पट्टी, दरी और राजस्थानी पैच कला काम पर विशेष जानकारी दी। इसके साथ उन्होंने राजस्थानी लोक वाद्ययंत्र भपंग और खड़ताल के साथ राजस्थान का लोक गीत चरखा भी प्रस्तुत किया।

डॉ. अंजली शर्मा तिवारी के इस आयोजन को अपनी समृद्ध और सार्थक सामग्री के लिए उपस्थित लोगों से असाधारण प्रतिक्रिया मिली है। ब्रिटिश संसद में यह अपनी तरह का पहला आयोजन था। इस दौरान कार्यक्रम के अंत में सभी प्रस्तुतकर्ताओं को सम्मानित किया गया। संस्कृति केंद्र की संस्थापक-ट्रस्टी रागसुधा विंजामुरी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया।

अपने उद्घाटन भाषण में रोहेम्प्टन विश्वविद्यालय के चांसलर बैरोनेस वर्मा ने परंपराओं और विरासत को संरक्षित करने के महत्व को रेखांकित किया और अपनी विभिन्न सांस्कृतिक पहल के लिए निरंतर प्रयासों के लिए संस्कृति केंद्र की सराहना की। डॉ. अंजली शर्मा तिवारी ने बताया कि सिंध, पश्चिम बंगाल, कर्नाटक, केरल, तेलंगाना और ओडिशा की हथकरघा और बुनाई परंपराओं को समृद्ध प्रस्तुतियों और आकर्षक नृत्यों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया। इस अवसर पर अरुणाचल प्रदेश की आदि जनजाति की बुनाई तकनीक के अलावा संथाली एक आदिवासी बुनाई परंपरा प्रस्तुत की गई।

भारत के केंद्रीय जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा, केंद्रीय कपड़ा मंत्री पीयूष गोयल, अरुणाचल प्रदेश के संस्कृति मंत्री ताबा तेदिर और ओडिशा के संस्कृति मंत्री अश्विनी कुमार पात्रा ने डॉ. अंजली शर्मा तिवारी सहित अन्य सभी प्रस्तुतकर्ताओं को बधाई दी है।

हिन्दुस्थान समाचार/मूलचन्द पेसवानी

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