शरद पूर्णिमा: चंद्र ग्रहण के कारण रहे जयपुर के सभी मंदिरों के पट मंगल
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जयपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। शरद पूर्णिमा पर शनिवार देर रात को चंद्र ग्रहण लग रहा है। यह दुर्लभ घटना तीस साल बाद हो रहीं है। इस चंद्र ग्रहण पर प्रदेश सहित जयपुर के सभी मंदिरों के पट मंगल रहेंगे और किसी भी तरह का धार्मिक कार्यक्रम नहीं होगा। शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण होने के कारण इस बार खीर का प्रसाद भी भक्तों ने उपलब्ध नहीं हो पाएगा। मंदिरों में भोग के लिए बनाई जाने वाली खीर इस बार वितरण नहीं की जाएगी।
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जयपुर आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में चंद्र ग्रहण से पहले ठाकुर की झांकी सिर्फ एक घंटे के लिए ही सजाई गई। जिसके बाद मंदिर के पट मंगल कर दिए गए। यही सिलसिला प्रदेश भर के मंदिरों में चला। ग्रहण खत्म होने के बाद भगवान को गंगाजल से स्नान करना के बाद भी धार्मिक कार्यक्रम की शुरूआत होगी। यह ग्रहण काल पांच राशियों की वरदान सााबित होने वाला है। जानकारी के अनुसार शरद पूर्णिमा पर सूतक काल शनिवार शाम 4 बजकर 05 से शुरू हुआ और रात्रि 1 बजकर 05 मिनट से चंद्र ग्रहण प्रारम्भ होगा जो 2 बजकर 24 मिनट तक रहेंगा।
स्वामी राजेन्द्र दास देवाचार्य महाराज ने बताया कि सूतक काल से पहले ही खीर बनाकर उसमें कुशा घास डालकर रख दीजिए एवं ग्रहण के मोक्ष के उपरांत खीर को खुले आसमान के नीचे रख कर प्रात काल मंगला आरती के बाद खीर में तुलसी दल छोड़कर ठाकुर जी को भोग लगा कर प्रसाद के रूप में ले सकते है।
ज्योतिषविदों के मुताबिक रात में मंदिरों व घरों में पूर्णिमा से जुड़े पूजा-पाठ नहीं होंगे। न ही खीर बनेगी। ग्रहण के कारण खीर चंद्रमा की रोशनी में भी नहीं रखी जाएगी। औपचारिकतावश मंदिरों में सुबह शरदोत्सव के तहत भगवान के समक्ष खीर का भोग लगाकर सूतक से पहले ही लोगों को बांटी जाएगी। सरसनिकुंज सहित कई मंदिरों में देर रात हवन होगा।ग्रहण समाप्त होने पर रात 2.33 बजे पूजा व स्नान के बाद चंद्रमा की रोशनी में खीर रखी जाएगी।
हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश/संदीप
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