जैन सिद्धांतों की पालना से आत्म कल्याण- विमर्श सागर
धौलपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)। जैन कुल में जन्म लेना सरल है, लेकिन जैन सिद्धांतों का पालन करना कठिन हैं। परिवार का सदस्य बनना सहज है, लेकिन श्रावक बनना कठिन हैं। आप सभी जिनेन्द्र प्रभु की वाणी को पड़ते तो हैं, साधुओं के प्रवचनों को सुनते तो हैं, लेकिन उन्हें अपने आचरण में स्वीकारते नहीं हैं। जिस दिन आपने जैन सिद्धांतों को स्वीकार कर लिया, जिनेन्द्र प्रभु की वाणी को आत्मसात कर लिया, समझो आपका कल्याण हो गया। ये मानव जीवन और वो भी जैन कुल में, अनेकों जन्मों के पुण्य से मिला है, इसे व्यर्थ नहीं गवाना चाहिए। उक्त उदगार जैनाचार्य श्री विमर्श सागर जी महाराज ने गुरुवार को जैन धर्मशाला धौलपुर में धर्म सभा को संबोधित करते हुए व्यक्त किए।
मध्यप्रदेश के मुरैना से धौलपुर पधारे आचार्य संघ की अगवानी के लिए धौलपुर जैन समाज के बंधु जलदाय विभाग चौराहे पर एकत्रित हुए। सभी ने आचार्य श्री की आरती उतारकर अगवानी की। जलदाय विभाग चौराहे से गाजे बाजे के साथ भव्य शोभायात्रा के रूप में गुरुदेव का शहर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। बुंदेलखंड के प्रथमाचार्य गणाचार्य विरागसागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य आचार्य विमर्शसागर महाराज ससंघ का मंगल पद विहार अतिशय क्षेत्र तिजारा की ओर चल रहा है। पद विहार के दौरान आचार्य आज अपने 27 पिच्छिकाओं सहित धौलपुर पहुंचे।
उल्लेखनीय है कि आचार्य विमर्शसागर महाराज का चतुर्मास जतारा में हुआ था। अब तिजारा की ओर मंगल पद विहार चल रहा है। धर्म सभा का संचालन जैन समाज के अध्यक्ष धनेश जैन ने किया। इस अवसर पर जैन समाज के मंत्री अमित जैन, समाज के उपाध्य प्रभाष जैन, धर्मशाला के अध्यक्ष पवन कुमार जैन, कृष्ण मोहन जैन ,नरेश कुमार जैन, प्रिंसिपल सुरेंद्र कुमार जैन ,दिलीप जैन ,सुनील जैन स्टेशन मास्टर सहित बड़ी संख्या में समाज जन मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/ प्रदीप/ईश्वर
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