सुरक्षित स्कूल-सुरक्षित राजस्थान : 65 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में बच्चों ने दोहराया 'गुड टच बैड टच' का पाठ
जयपुर, 28 अक्टूबर (हि.स.)। बच्चों में 'असुरक्षित स्पर्श' के प्रति जागरूकता से समाज में ‘चाइल्ड अब्यूज‘ की घटनाओं पर लगाम कसने के लिए ‘सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान‘ अभियान का दूसरा चरण शनिवार को ‘नो बैग डे‘ के तहत प्रदेश के 65 हजार से अधिक सरकारी स्कूलों में एक साथ आयोजित किया गया। सभी सरकारी स्कूलों में इस अभियान के लिए विशेष प्रशिक्षण प्राप्त टीचर्स (मास्टर ट्रेनर्स) द्वारा बच्चों को ‘बैड टच‘ का मुकाबला करते हुए खुद को सुरक्षित रखने के लिए ‘नो-गो-टेल‘ की थ्योरी बताई गई। जयपुर में स्कूल शिक्षा विभाग के शासन सचिव नवीन जैन ने निजी स्कूलों के बच्चों में भी 'असुरक्षित स्पर्श' की अवेयरनेस क्रिएट करने के लिए प्रताप नगर स्थित माहेश्वरी पब्लिक स्कूल में आयोजित विशेष सत्रों में विद्यार्थियों को प्रेजेंटेशन और स्टोरीज के माध्यम से ‘बैड टच‘ की पहचान के तरीके समझाएं।
शासन सचिव ने ‘टीम स्पर्श' के सदस्यों के साथ स्पेशल सेशन में बताया कि किस प्रकार सजग और सावधान रहते हुए बुरी नजर और गलत नीयत वाले लोगों के इरादों को छकाया जा सकता है। उन्होंने प्रेजेंटेशन के दौरान बच्चों से सीधा और सतत संवाद करते हुए बताया कि टच किस इमोशन के साथ किया जा रहा है, इसकी पहचान ‘सिक्स्थ सेंस‘ का इस्तेमाल करते हुए की जा सकती है। गुड टच और बैड टच में भेद करने की क्षमता भगवान ने सभी को प्रदान की है। ‘गुड टच‘ से बच्चों में सुरक्षा और सुविधा (सेफ्टी और कम्फर्ट) तथा ‘बैड टच‘ से असुरक्षा एवं असुविधा (इनसिक्योरिटी एवं डिस्कम्फर्ट) की फीलिंग आती है। उन्होंने व्यवहारिक जीवन से जुड़ी छोटी-छोटी घटनाओं और किस्सों से बच्चों को मोटिवेट और एंगेज रखते हुए बैड टच की स्थिति में चिल्लाते हुए ‘नो‘ बोलकर उस स्थान या व्यक्ति से सावधानी के साथ दूर भागने (गो) और इसके बारे में बिना किसी डर या घबराहट के किसी बड़े या जिस पर उनको सबसे ज्यादा भरोसा हो, को इसके बारे में बताने (टैल) की ‘नो-गो-टैल की थ्योरी की बारीकियां सिखाई। इस दौरान जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) राजेन्द्र हंस और स्कूल की प्रिंसिपल रीटा भार्गव सहित, टीचर्स, पेरेंट्स और गणमान्य लोग मौजूद रहे।
जैन ने बताया कि सरकारी स्कूलों के साथ-साथ प्राइवेट स्कूलों में भी गुड टच बैड टच की अवेयरनेस जरूरी है। यह खुशी की बात है कि अगस्त में राज्य के सरकारी स्कूलों में आयोजित प्रथम चरण के अभियान के बाद सरकारी स्कूलों के कई प्रशिक्षित टीचर्स ने स्वप्रेरणा से अपने आस-पास के निजी स्कूलों में इस अभियान को चलाया है। जयपुर में जिन निजी स्कूलों में इसके सेशन आयोजित हुए है, वे भी दूसरे निजी स्कूलों में इसके प्रशिक्षण आयोजित करके 'असुरक्षित स्पर्श' के बारे में जागरूकता के प्रसार में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने बताया कि मनोवैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का मानना है कि नियमित अंतराल पर यदि तीन चरणों में बच्चों को इस संवेदनशील विषय पर प्रशिक्षित किया जाए तो ये स्थाई रूप से उनकी समझ और व्यवहार का हिस्सा बन जाता है तथा वे ‘असुरक्षित स्पर्श‘ का सजगता और सतर्कता से सामना करते हुए खुद को सुरक्षित रख सकते है। इसी उद्देश्य से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा ‘सुरक्षित स्कूल सुरक्षित राजस्थान‘ अभियान के तहत चरणबद्ध रूप से सरकारी स्कूलों में तीन प्रशिक्षणों की रूपरेखा तैयार की गई है। इन स्कूलों में तीसरा चरण अगले साल जनवरी में आयोजित होगा।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप
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