शिक्षा में आदर्श जीवन मूल्यों की आज विशेष आवश्यकता -इंदुशेखर
धौलपुर, 21 दिसंबर (हि.स.)।। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष पर विद्या भारती की विद्वत परिषद द्वारा रविवार को स्थानीय भार्गव वाटिका में प्रबुद्धजन विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। गोष्ठी में राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 और जीवन मूल्य, समाज जागरण में विद्या भारती की भूमिका और पंच परिवर्तन और हमारी भूमिका विषय पर मंथन हुआ।
गोष्ठी के मुख्य वक्ता के रूप में पधारे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.इंदुशेखर तत्पुरुष ने शिक्षा और जीवन मूल्यों पर अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि शिक्षा में आदर्श जीवन मूल्यों की आज विशेष आवश्यकता है। शिक्षा हमें ज्ञान, विचारशीलता और विचारों की विस्तारित क्षमता प्रदान करती है। जीवन मूल्य हमारे आचरण और नैतिक मूल्यों का प्रतिपादन करते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जीवन मूल्य हमारे संपूर्ण विकास में मदद करते हैं और एक यथार्थपूर्ण और समृद्ध जीवन की ओर प्रशस्ति करते हैं। गोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे लघु उद्योग भारती के जिला उपाध्यक्ष विमल भार्गव ने शिक्षा एवं जीवन मूल्यों के संबंध पर व्याख्या दी। उन्होंने सभी से पंच परिवर्तन के अनुसार जीवन जीने का आग्रह भी किया। गोष्ठी में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर भरतराम कुम्हार ने कहा कि विद्या भारती भारत का सबसे बड़ा गैर-सरकारी शिक्षा संगठन है, जो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से संबद्ध है और भारतीय संस्कृति व मूल्यों पर आधारित शिक्षा प्रदान करता है। आरएसएस के विभाग प्रचारक उत्कर्ष ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत अपनी सनातन संस्कृति, सभ्यता, और परंपराओं के कारण अनादिकाल से विश्व का मार्गदर्शन करता आया है। आज जब देश 21वीं शताब्दी में एक नई ऊंचाई की ओर अग्रसर है, समाज में अनुशासन, देशभक्ति और समरसता की पुनर्स्थापना एक प्रमुख आवश्यकता बन गई है। विद्वत परिषद के प्रांत संयोजक बृजेश कुमार गुप्ता ने परिषद के क्रियाकलापों पर प्रकाश डाला। विद्या भारती के जिलाध्यक्ष नाहर सिंह व जिला व्यवस्थापक यदुनाथ शर्मा सहित अतिथियों ने विद्या भारती संस्थान के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वालों को सम्मानित किया। गोष्ठी का संचालन जिला संयोजक अनुराग शर्मा ने किया। अंत में सह संयोजक डॉ. एमके सिंह ने आभार व्यक्त किया।
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हिन्दुस्थान समाचार / प्रदीप

