सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ. कमल सोई ने ड्राइविंग लाइसेंस- वाहन पंजीकरण प्रमाण पत्र को डिजिटल रूप में जारी करने का प्रस्ताव दिया
जयपुर, 19 मार्च (हि.स.)। अन्तरराष्ट्रीय सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ और भारत सरकार के सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद के सदस्य डॉ. कमल सोई ने राजस्थान में परिवहन विभाग द्वारा एक अप्रैल 2024 से केवल डिजिटल ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र जारी करने को मौजूदा कानूनों एवं दिशानिर्देशों का स्पष्ट उल्लंघन बताया है। उनका कहना है कि यह सड़क सुरक्षा एवं कानूनी अनुपालन के लिए गंभीर खतरा है।
डॉ. कमल सोई मंगलवार को पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा भौतिक रूप में (लैमिनेटेड कार्ड या स्मार्ट कार्ड) ड्राइविंग लाइसेंस और पंजीकरण प्रमाण पत्र जारी करने के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद राजस्थान परिवहन विभाग कानूनी अधिदेशों एवं दिशानिर्देशों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने पर ज़ोर दे रहा है। राजस्थान के परिवहन विभाग ने आठ फरवरी 2024 को अधिसूचना जारी कर दी है कि एक अप्रैल 2024 से ड्राइविंग लाइसेंस और वाहन पंजीकरण प्रमाणपत्र केवल डिजिटल रूप में ही जारी किए जाएंगे। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की एडवाइजरी का हवाला देते हुए डॉ. सोई का कहना है कि केन्द्रीय मोटर वाहन नियम 1989 के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस एवं पंजीकरण प्रमाण पत्र सिर्फ भौतिक रूप में ही जारी किए जाने चाहिए। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने हाल ही में 18 जुलाई 2023 और 09 फरवरी 2024 को स्पष्टीकरण दिया है कि इन नियमों का अनुपालन करते हुए लेमिनेटेड-कार्ड प्रकार के दस्तावेज जारी करना अनिवार्य है।
उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग को 14 अप्रैल 2023, चार मई 2023 और चार नवम्बर 2023 को दिए गए ज्ञापन में कानूनी नियमों और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुपालन की मांग की गई है। जबकि, विभाग मानदण्डों की अवहेलना करते हुए सिर्फ डिजिटल दस्तावेज जारी करने करने पर कायम है। परिवहन विभाग राज्य में डीएल और आरसी को प्रिंट करने के लिए ई-मित्र केन्द्र रूट अपनाना चाहता है। इसके बजाय एनआईसीएसआई के माध्यम से इसे लागू नहीं करना चाहता है। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 19 मई 2017 के पत्र के माध्यम से कहा कि वेब-सर्विस इस्तेमाल करने वाले एप्लीकेशन, ऐप, पोर्टल का लेखा परीक्षण अनुमोदित सुरक्षा लेखा परीक्षक द्वारा किया जाएगा और इसकी रिपोर्ट सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय को भेजी जाएगी। सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने भी निर्देश दिए हैं कि इस तरह का लेखा परीक्षण हर साल किया जाएगा। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि ऑडिट सर्टिफिकेट प्राप्त होने पर वेब सर्विस को सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय द्वारा सक्षम किया जाएगा और उपरोक्त बिन्दुओं के अनुपालन के संदर्भ में आधिकारिक लैटर-हैड पर सक्षम अधिकारी से वचनपत्र लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि हर ई-मित्र केन्द्र के लिए सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के कर्थित निर्देशों का अनुपालन करना और वेब सर्विस का उपयोग करने के लिए लेखा परीक्षण का प्रमाणपत्र पाना असंभव है। ऐसा हो भी जाए, लेकिन ऐसा संभव नहीं है कि हर ई-मित्र केन्द्र को ऑडिट सर्टिफिकेट मिल जाए, तब भी हर ई-मित्र केन्द्र के लिए यह सुनिश्चित करना संभव नहीं होगा कि किसी भी थर्ड पार्टी को ऐप्लीकेशन, ऐप के ज़रिए वेब सर्विस का एक्सेस न मिले और इस तरह डीएलआरसी के डेटा को सुरक्षित रखना असंभव हो जाएगा। उन्होंने बताया कि परिवहन विभाग से अनुरोध किया गया है कि भारत सरकार के निर्देशों के अनुरूप एनआईसीएसआई को जारी रखने पर विचार करें। साथ ही, स्मार्ट कार्ड वाले डीएल और आरसी जारी करने के लिए एनआईसीएसआई की सेवाओं का इस्तेमाल जारी रखें।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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