इस्तीफा देने वाले सांसदों ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात, दीया कुमारी नड्डा से मिली

इस्तीफा देने वाले सांसदों ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात, दीया कुमारी नड्डा से मिली
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इस्तीफा देने वाले सांसदों ने की प्रधानमंत्री से मुलाकात, दीया कुमारी नड्डा से मिली


जयपुर, 6 दिसंबर (हि.स.)। राजस्थान में विधानसभा चुनावों का परिणाम घोषित हुए तीन दिन हो चुके हैं, लेकिन अब तक मुख्यमंत्री को लेकर असमंजस बरकरार है। भारतीय जनता पार्टी विधायक दल की बैठक और मुख्यमंत्री के नाम को लेकर कोई फैसला नहीं हो पाया है। विधायक बने भाजपा के तीन सांसदों ने सांसद पद से इस्तीफा दे दिया है। इनमें दीया कुमारी, किरोड़ीलाल मीणा और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ शामिल हैं। तिजारा से जीते महंत बालकनाथ ने इस्तीफा नहीं दिया है।

इस्तीफा देने के बाद विधायक बने सांसदों ने संसद भवन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की। वहीं, दीया कुमारी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी मुलाकात की।

बताया जा रहा है कि जिन दो लोकसभा सांसदों ने इस्तीफा दिया है, उनकी सीट पर उपचुनाव नहीं होंगे, क्योंकि लोकसभा चुनावों में अब छह महीने से भी कम समय बचा है। दीया कुमारी राजसमंद, राज्यवर्धन सिंह राठौड़ जयपुर ग्रामीण सीट से सांसद थे। किरोड़ी मीणा राज्यसभा सांसद थे, इसलिए उनके इस्तीफे से खाली हुई सीट पर जरूर राज्यसभा चुनाव होगा।

मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर भाजपा में दिल्ली से लेकर जयपुर तक अंदर खाने बैठकें और मंथन चल रहा है। मंगलवार शाम को प्रधानमंत्री आवास पर अमित शाह और जेपी नड्डा के बीच चार घंटे बैठक चली है। विधायकों को उनके क्षेत्र में जाकर सक्रिय रहने के लिए कह दिया गया है। संगठन की ओर से मैसेज पहुंचाया गया है कि जब भी बैठक होगी, उन्हें जयपुर बुला लिया जाएगा। बीजेपी नेता जल्द राजस्थान सीएम के नाम पर फैसला होने का दावा कर रहे हैं।

राजस्थान बीजेपी में यह पहला मौका है जब मुख्यमंत्री को लेकर असमंजस बना है, इससे पहले कभी ऐसा नहीं हुआ। बीजेपी मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करके ही चुनाव लड़ती रही है, इसलिए कभी नतीजे आने के बाद असमंजस नहीं हुआ। पहले भैरोसिंह शेखावत बीजेपी का सीएम चेहरा हुआ करते थे। वर्ष 2003, 2008, 2013 और 2018 के विधानसभा चुनावों में वसुंधरा राजे पहले से सीएम चेहरा घोषित थीं, इसलिए असमंजस नहीं हुआ। वर्ष 2003 और 2013 में वसुंधरा राजे का पहले से ही सीएम बनना तय था, इसलिए नतीजे आने के बाद ही सीएम की शपथ का टाइम तय हो जाता था, विधायक दल की बैठक में नाम की घोषणा केवल औपचारिकता ही रहती थी। दोनों ही बार वसुंधरा राजे ने 13 दिसंबर को शपथ ली थी। बीजेपी में मुख्यमंत्री का फैसला लंबा खींचने को लेकर सियासी हलकों में कई तरह की चर्चाएं चल रही हैं। अब तक सीएम पर फैसला नहीं होने के पीछे केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति को कारण माना जा रहा है। राजस्थान बीजेपी में सीएम चेहरों की लंबी कतार है, ऐसे में देरी के पीछे सबका मन टटोल कर सर्वसम्मति बनाने की कोशिश से जोड़कर देखा जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/संदीप

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