वाणिज्य मंत्रालय से बीआईएस क्यूसीओ लागू करने में देरी नहीं करने का अनुरोध
जयपुर, 24 जनवरी (हि.स.)। ऑल इंडिया स्टील बॉटल्स एसोसिएशन ने वैक्युम- इन्सुलेटेड वॉटर बॉटल्स और पोर्टेबल स्टेनलैस स्टील वॉटर बॉटल्स के लिए क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स पेश करने में सरकार के सराहनीय कदम की सराहना की है। उद्योग जगत की चुनौतियों को देखते हुए यह कदम ‘मेक इन इंडिया’, ‘आत्म निर्भर भारत’ तथा ‘स्वस्थ भारत’ एवं स्थायी पर्यावरण लक्ष्यों के अनुरूप है। उम्मीद की जा रही है कि इस पहल से मुख्य रूप से एमएसएमई सेक्टर में 25 हजार नई नौकरियां उत्पन्न होंगी। साथ ही, महिलाओं को भी बड़ी संख्या में रोज़गार मिलेंगे। बीआईएस मानकों के अनुपालन एवं गुणवत्ता के लिए उद्योग जगत की प्रतिबद्धता के चलते भारत विश्वस्तरीय मंच पर मजबूती से स्थापित हो गया है और जल्द ही इस क्षेत्र में निर्यात बढ़ने का अनुमान है।
उद्योग जगत का प्रतिनिधित्व करने वाले ऑल इंडिया स्टील बॉटल्स एसोसिएशन ने क्यूसीओ के निष्पादन की दिनांक को आगे न बढ़ाने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया है। क्राउन क्राफ्ट के निदेशक भारत अग्रवाल ने बताया कि भारतीय कंपनियां पहले से आयात वॉल्युम को प्रतिस्थापित करने के लिए अपनी क्षमता बढ़ा चुकी हैं, जो बीआईएस मानकों को पूरा करने की हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। ऐसे में कोई भी विस्तार निर्माताओं के लिए सज़ा होगी, जिन्होंने बीआईएस मानकों के अनुरूप सही सामग्री और स्टॉक रखा है। प्लासेरो इंटरनेशनल प्रा. लिमिटेड के निदेशक वेदांत पेडिया ने बताया कि चीन से कम दरों पर अल्प गुणवत्ता के उत्पादों का आना एमएसएमई निर्माताओं के लिए गंभीर खतरा है। घरेलू बाज़ार में आयात रूकने की वजह से स्टेनलैस स्टील शीट के लिए कच्चे माल की लागत काफी बढ़ गई है, ऐसे में घरेलू निर्माताओं के लिए आयातित तैयार उत्पादों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो गया है। इंटरनेशनल स्तर पर स्टेनलैस स्टील के कच्चे माल की लागत कम हुई है, जबकि कच्चे माल पर क्यूसीओ की वजह से घरेलू कीमतें बढ़ीं हैं। चुनौतियों के बाजवूद भारत के एमएसएमई ने घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। 2007-2017 में सिर्फ एक वैक्यूम-इन्सुलेटेड निर्माता से लेकर प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन एवं नेतृत्व में पांच सालों में 20 फैक्ट्रियों की स्थापना हुई है।
नैनोबोट हाउसवेयर्स सोल्युशन्स के निदेशक विकास जैन ने उद्योग जगत के विकास पर बात करते हुए बताया कि वर्तमान में भारत की इंस्टॉल्ड क्षमता 800 करोड़ को पार कर चुकी है और इसके 1000 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। सहायक यूनिट्स ने अपनी क्षमता बढ़ाने के लिए काफी निवेश किया है। पिछले साल में करीब 600 करोड़ का आयात हुआ, जबकि घरेलू उत्पादन तकरीबन 130 करोड़ का हुआ। भारत में कुल रु 730 करोड़ की खपत हुई। उद्योग जगत लगातार विकसित हो रहा है, ऐसे में हितधारकों से अनुरोध है कि स्टेनलैस स्टील वॉटर बॉटल्स के लिए बीआईएस क्यूसीओ के समय पर निष्पादन को सहयोग प्रदान करें। एटलस मैटल प्रोसेसर्स प्रा. लिमिटेड के निदेशक राकेश जैन ने बताया कि बीआईएस क्यूसीओ उद्योग जगत में मानक स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। यह पहल न सिर्फ उच्च गुणवत्ता की स्टेनलैस स्टील बोतलों के उत्पादन को सुनिश्चित करेगी, बल्कि निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देकर अंतिम उपभोक्ताओं को लाभान्वित भी करेगी।
हिन्दुस्थान समाचार/रोहित/ईश्वर
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