गणतंत्र दिवस परेड-2024 फूल ड्रेस रिहर्सल : राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत में पधारो म्हारे देश का संदेश देकर मन मोहा

गणतंत्र दिवस परेड-2024 फूल ड्रेस रिहर्सल : राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत में पधारो म्हारे देश का संदेश देकर मन मोहा
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गणतंत्र दिवस परेड-2024 फूल ड्रेस रिहर्सल : राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत में पधारो म्हारे देश का संदेश देकर मन मोहा


नई दिल्ली/ जयपुर , 23 जनवरी (हि.स.)। नई दिल्ली के कर्त्तव्य पथ पर मंगलवार को गणतंत्र दिवस परेड-2024 की फूल ड्रेस रिहर्सल में राजस्थान की झांकी ने विकसित भारत में पधारो म्हारे देश का संदेश देकर दर्शकों को मन मोह लिया। झांकी के दोनों ओर राजस्थान की दस लोक नर्तकियां पारंपरिक घूमर नृत्य कर रही थी। इस वर्ष 26 जनवरी को 75 वें गणतंत्र दिवस परेड-2024 में निकलने वाली झांकियों में राजस्थान की झांकी का अलग ही आकर्षण रहने वाला है। इस झांकी में विकसित भारत में पधारो म्हारे देश की थीम रखी गई है।

झांकी के नोडल अधिकारी राजस्थान ललित कला अकादमी के सचिव डॉ रजनीश हर्ष ने बताया कि प्रदेश की कला एवं संस्कृति विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ के मार्ग दर्शन में तैयार की गई यह झांकी राजस्थान की विश्व प्रसिद्ध संस्कृति, स्थापत्य परंपरा और हस्तशिल्प का सुंदर मिश्रण है।

झांकी के अग्रभाग में राजस्थान के प्रदेश के सुप्रसिद्ध घूमर नृत्य का मनोहारी दृश्य है। इसमें घूमर करती दस फीट आकार की नर्तकी का मूर्ति शिल्प सभी को आकर्षित करने वाला हैं। चटक रंगो की रंग बिरंगी राजस्थानी वेश-भूषा में सुसज्जित यह नर्तकी अपने विशेष अंदाज में सभी को पधारों म्हारे देस का संदेश दे रही है। घूमर राजस्थान का पारंपरिक और जग प्रसिद्ध नृत्य है जो कि प्रदेश की महिलाओं द्वारा विभिन्न उत्सवों में किया जाता है।

डॉ हर्ष ने बताया कि झांकी के पिछले भाग में भगवान कृष्ण की अनन्य भक्त तथा भक्ति और शक्ति आस्था की प्रतीक मीरा बाई की सुंदर प्रतिमा प्रदर्शित की गई है। इसके अतिरिक्त राज्य के सुप्रसिद्ध हस्तशिल्प उद्योगों का महिलाओं द्वारा ही संचालन करना और उनके द्वारा निर्मित उत्पादों की सुंदर झलक प्रस्तुत की गई है। झांकी में राजस्थान की उद्यमी महिलाओं को पारंपरिक बंधेज, बगरू प्रिंट, एप्लिक वर्क का कार्य करते हुए भी दर्शाया गया है।

उन्होंने बताया कि झांकी के पिछले भाग में रेगिस्तान का जहाज कहें जाने वाले गोरबंद से सुसज्जित ऊँटो को दर्शाया गया है। संयुक्त राष्ट्र संघ (यूनाइटेड नेशंस) ने इस वर्ष -2024 को उष्ट्र (ऊंटो) वर्ष घोषित किया है। गोरबंद में सजे-धजे दो ऊंटो की यह झांकी प्रतिवर्ष पश्चिमी राजस्थान में होने वाले ऊंट उत्सव को प्रतिबिंबित कर रही है। इसके साथ ही झांकी में विशेष राजस्थानी ग्राम्य जन जीवन को भी दर्शाया गया है। इसके प्रतीक के रूप में राजस्थानी लिबास में सजे धजे एक पुरुष की मूर्ति दर्शाई गई है। साथ ही ऊंट पर राजस्थान की पारंपरिक वेशभूषा पहने राजस्थानी महिला सवारों को भी दर्शाया गया है। ऊंट के पीछे राजस्थान के स्थापत्य कला का प्रदर्शन है जिसमें सुसज्जित हाथी युक्त विशेष तोरण द्वार, कलात्मक छतरियों, मीनारो आदि को गुलाबी रंग पर सफेद रंग से सुंदर ढंग से अलंकृत किया गया है।

झांकी में राजस्थानी संगीत की मनभावन प्रस्तुति भी की गई हैं । साथ ही मन को आनंदित करने वाले घूमर और गोरबंद गीतों की विभिन्न लोक वाद्य यंत्रों द्वारा फ्यूजन धुनों का सुमिश्रण दिल को छू जाने वाला है।

डॉ हर्ष ने बताया कि राजस्थान की इस समृद्ध सांस्कृतिक झांकी में विकसित भारत की संकल्पना के साथ राजस्थान की उत्सवधर्मी संस्कृति में समाए महिला हस्तशिल्प उद्योगों के विकास का सुंदर ढंग से प्रदर्शन किया गया है। यह झांकी राजस्थान के समृद्ध इतिहास और संस्कृति की पृष्ठभूमि में प्रदेश में हुए नवीन स्थापत्य निर्माण की एक अति सुंदर झांकी है।

राजस्थान की यह झांकी परंपरा के साथ विकसित भारत की संकल्पना लिए हुए है। झांकी को मूर्त रूप देने में राजस्थान ललित कला अकादमी के प्रदर्शनी अधिकारी विनय शर्मा के साथ ही सांस्कृतिक दल के लीडर राजकुमार जैन, राजेंद्र राव, गिरधारी सिंह आदि का विशेष योगदान रहा। सुप्रसिद्ध डिजाइनर हरशिव शर्मा के सुपरविजन में ये झाँकी तैयार की गई है।

हिन्दुस्थान समाचार/ दिनेश सैनी/ईश्वर

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