मसाला पैदावार पर मंडी टैक्स घटाये राजस्थान सरकार- रास
कोटा, 10 फरवरी (हि.स.)। राजस्थान में प्रतिवर्ष 12 हजार करोड़ से अधिक मसाले से जुड़ी फसलों का उत्पादन हो रहा है लेकिन प्रदेश में मंडी टैक्स अधिक होने से कुल उत्पादन का 75 प्रतिशत विक्रय अन्य राज्यों में हो रहा है। इससे प्रदेश को राजस्व हानि के साथ किसानों को नुकसान हो रहा है। राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस (रास) संस्था के दो दिवसीय रीजनल बिजनेस मीट में अध्यक्ष श्याम जाजू ने यह बात कही।
शनिवार को कोटा दक्षिण विधायक संदीप शर्मा ने राजस्थानी मसाला उद्यमियों के दो दिवसीय अधिवेशन का शुभारंभ किया। संस्था के अध्यक्ष श्याम जाजू ने कहा कि राजस्थान में मंडी टैक्स 4.5 प्रतिशत है, जबकि गुजरात और मध्यप्रदेश में यह एक प्रतिशत होने से यहां के किसान वहां जाकर अपनी उपज बेच रहे हैं, जिससे किसानों पर परिवहन का अतिरिक्त भार पड रहा है। इतना ही नहीं, राज्य सरकार को 5 प्रतिशत जीएसटी और दो प्रतिशत मंडी टैक्स से प्रतिवर्ष करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है।
नये एग्रो उद्योगों से मिल सकते हैं नये रोजगार-
राजस्थानी एसोसिएशन ऑफ स्पाइसेस संस्था के सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि यदि राज्य सरकार मध्यप्रदेश और गुजरात की तरह यहां भी मंडी टैक्स एक समान कर दे तो प्रदेश में नये एग्रो प्रोसेसिंग व अन्य उद्योग खुलेंगे, जिससे रोजगार के अवसर बढ जायेंगे।
तीन साल तक खराब नहीं होते राजस्थानी मसाले-
संस्था सचिव महावीर गुप्ता ने कहा कि राजस्थान के मसाले उनकी खुशबू और तासीर पूरी दुनिया में सबसे बेहतर है। इनको तीन साल तक रखने पर भी खराब नहीं होते, जबकि अन्य राज्यों के मसाले दो महीने में ही खराब हो जाते हैं। हमारे प्रदेश के मसालों की यह खूबी किसानों और व्यापारियों के लिए काफी फायदेमंद है, इससे इनके भण्डारण में भी ज्यादा खर्च नहीं होता। बिजनेस मीट में देश की प्रमुख मसाला कंपनियों के प्रतिनिधि, कृषि विशेषज्ञ, विपणन एक्सपर्ट, किसान व व्यवसायी शामिल हुये। रविवार को विभिन्न समस्याओं पर पैनल चर्चा कर सरकार को सुझाव व प्रस्ताव भेजे जायेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार/अरविंद/संदीप
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