विद्युतीकरण से रेल परिवहन को मिली नई दिशा, पर्यावरण अनुकूल रेल परिवहन के साथ राजस्व में भी बचत



जयपुर, 19 मार्च (हि.स.)। उत्तर पश्चिम रेलवे जयपुर मण्डल के चार रेलवे मण्डलों में से एक प्रमुख रेल मण्डल है। जयपुर मण्डल का मुख्यालय राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित है। इस मण्डल का गठन बी.बी. एण्ड सी.आई., जयपुर स्टेट रेलवे तथा राजपूताना मालवा रेलवे के क्षेत्रों को मिलाकर किया गया था। जयपुर मण्डल राजस्थान तथा हरियाणा को रेल परिवहन की सेवाएं प्रदान करता है। राजस्थान का प्रमुख पर्यटक स्थल होने तथा देश की राजधानी दिल्ली के समीप होने से यह मण्डल यात्री यातायात और माल परिवहन में अहम भूमिका निभाता है।

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार जयपुर मण्डल राजस्थान के जयपुर, अजमेर, अलवर, सीकर, सवाई माधोपुर, टोंक, दौसा, चूरू जिलों के क्षेत्रों तथा हरियाणा के रेवाडी और नारनौल जिलों के क्षेत्रों को सेवाएं प्रदान करता है। इसके अतिरिक्त माल परिवहन के लिये महत्वाकांक्षी परियोजना वेस्टर्न डेडिकेटड फ्रेट कॉरिडोर का बड़ा भाग 635 किलोमीटर राजस्थान से होकर गुजर रहा है। इस कॉरिडोर पर आज तेज गति से दौड़ती मालगाडियों ने औद्योगिक दृष्टि से नई पहचान स्थापित की है और रोजगार के नये अवसर बनाये है।

जयपुर मण्डल पर जयपुर-दिल्ली के मध्य संचालित डबल डेकर ट्रेन बहुत लोकप्रिय है। नई दिल्ली-अजमेर शताब्दी एक्सप्रेस, नई दिल्ली-अहमदाबाद राजधानी एक्सप्रेस, दिल्ली-अहमदाबाद आश्रम एक्सप्रेस, बान्द्रा टर्मिनस-हिसार दुरन्तों एक्सप्रेस, काठगोदाम-जैसलमेर रानीखेत एक्सप्रेस, जोधपुर-दिल्ली मण्डोर एक्सप्रेस जैसी महत्वपूर्ण ट्रेनें इस मण्डल से गुजरने वाली प्रमुख रेलसेवाएं है।

महाप्रबंधक-उत्तर पश्चिम रेलवे विजय शर्मा के दिशा निर्देशों और नियमित मॉनिटरिंग से जयपुर मण्डल पर शत प्रतिशत रेलमार्ग 1024 रूट किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है। जयपुर मण्डल के रेवाडी-अलवर-जयपुर-फुलेरा, रेवाडी-रींगस-फुलेरा-अजमेर, जयपुर-सवाई माधोपुर, जयपुर-रींगस-सीकर-चुरू तथा सीकर-लोहारू रेलमार्ग का विद्युतीकरण कार्य पूरा हो गया है तथा इन रेलमार्गाें पर इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर रेलसेवाओं का संचालन प्रारम्भ हो गया है।

जयपुर मण्डल पर कुल स्थापित ट्रैक्शन बिजली आपूर्ति क्षमता 2373.6 एमवीए है, जिसमें 11 टीएसएस स्टेशन स्थापित किये गये हैं। जयपुर मण्डल पर 168 रेलसेवाएं इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर संचालित की जा रही है। रेलवे लाइनों के विद्युतीकरण होने से जन सामान्य की जीवन शैली में परिवर्तन आया है। आमजन में रेल विद्युतीकरण होने से उत्साह का संचार हुआ है तथा उनको गर्व का अनुभव होता है। साथ ही छत पर यात्रा करने वाले यात्रियों पर अंकुश लगा है, इसके कारण दुर्घटनाएं नहीं हो रही है। विद्युतीकरण होने से पर्यावरण अनुकूल रेल संचालन प्रारम्भ होने से वायु और ध्वनि प्रदुषण में उल्लेखनीय कमी आई है। इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर रेल परिवहन संचालित होने आयातित डीजल ईंधन पर निर्भरता कम हो गई है तथा विदेशी मुद्रा की बचत हो रही है साथ ही कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है। इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव की उच्च ढुलाई क्षमता होने से भारी मालगाड़ियों और लंबी यात्री ट्रेनों का संचालन सुगम हुआ है, जिससे सेक्शन की थ्रूपुट और क्षमता में वृद्धि हुई है। विद्युतीकरण के परिणामस्वरूप जयपुर मण्डल पर गत वर्ष की तुलना में सालाना लगभग 178 करोड़ रूपये के ईंधन की बचत हो रही है और साथ ही प्रतिवर्ष लगभग 47000 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन में कमी आई है।

उत्तर पश्चिम रेलवे पर वर्ष 2023-24 तक सभी रेलमार्गों के विद्युतीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया हैं विद्युतीकरण होने से ट्रेनों की रफ़्तार बढ़ेगी जिससे यात्रा समय में बचत होगी साथ ही डीजल की जगह बिजली के प्रयोग से पर्यावरण संरक्षण को भी बढ़ावा मिलेगा व राजस्व में भी बचत होगी।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

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