पंडितों-विद्वानों में साढ़े चार घंटे चले तर्क-वितर्क: अगले वर्ष 18 फरवरी पुष्करणा सावा में होंगे सैकड़ों विवाह
बीकानेर, 25 अक्टूबर (हि.स.)। विजयादशमी की शाम एक ओर जहां देश-दुनिया में रावण दहन हो रहे थे वहीं दूसरी ओर बीकानेर में पुष्करणा समाज के पंडितों, ज्योतिषियों और विद्वानों के लंबा शास्त्रार्थ छिड़ चुका था। शाम गहराने के साथ शुरू हुआ यह शास्त्रार्थ, तर्क-वितर्क से होता हुआ गरमागरम बहस में बदलता जा रहा था। मुद्दा था पुष्करणा समाज में दो साल से होने वाला सामूहिक सावा तय करना जिसे आम बोलचाल में पुष्करणा ओलंपिक कहते हैं। रात लगभग एक बजे तक चले इस शास्त्रार्थ के बाद आखिरकार सावे की तारीख तय हो गई। यह तारीख है, 18 फरवरी 2024, रविवार। इस बार सावा भवानी शंकर-भवानी के नाम से निकाला गया। कीकाणी व्यास समाज के नारायण दास व्यास ने बताया कि 18 फरवरी को विवाह होगा, जबकि उपनयन संस्कार (जनेऊ) सहित अन्य तारीख भी तय की गई है। विस्तृत कार्यक्रम अब जारी किया जाएगा। शास्त्रार्थ के दौरान ज्योतिषीय विद्वान राजेंद्र ओझा, अशोक ओझा ने मुख्य रूप से चर्चा की। लालाणी व्यास समाज की ओर से मक्खन व्यास उपस्थित रहे।
कैसी परंपरा, इतना मंथन क्यों ?
दरअसल बीकानेर के पुष्करणा समाज में हर दो साल में एक बार सामूहिक विवाह होता है। पहले यह अवधि चार साल होती थी जिसे पिछले कुछ सालों में घटाकर दो साल कर दिया गया है। इसी सावे की तिथियां तय करने समाज की लगभग सभी जातियों के प्रमुख विद्वान एक जाजम पर बैठते हैं। श्रेष्ठ सावा तय करते हैं।
अब धनतेरस को फिर जुटेगी पंचायत
दशहरे के दिन सावे की तिथि तय हो गई। अब धनतेरस को फिर पंडितों की पंचायत जुटेगी। उस दिन सावे के हिसाब से बाकी संस्कार तय होंगे। मसलन, यज्ञोपवीत, हाथकाम, छींकी आदि के दिन और समय तय किए जाएंगे।
राज परिवार से अनुमति की परंपरा भी होती है
बीकानेरी पुष्करणा सावे के कई रस्मों-रिवाज और परंपराएं काफी रोचक हैं। इन्हीं में से एक है राज परिवार से सावे की इजाजत लेना। राजशाही के जमाने से अब तक यह रस्म निभाई जाती है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप
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