विधानसभा में अपशब्द कहने पर सजा : धारीवाल दाे दिन सदन की कार्यवाही मेंं नहीं ले सकेंगे भाग

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विधानसभा में अपशब्द कहने पर सजा : धारीवाल दाे दिन सदन की कार्यवाही मेंं नहीं ले सकेंगे भाग


जयपुर, 30 जुलाई (हि.स.)। राज्य विधानसभा में स्वायत्त शासन विभाग की अनुदान मांगों पर चर्चा के दौरान अपशब्द कहने वाले पूर्व मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक शांति धारीवाल दो दिन सदन की कार्यवाही मेंं भाग नहीं ले सकेंगे। अपने अपशब्द के लिए धारीवाल ने हालांकि सदन में माफी मांग ली, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने उन्हें सजा के तौर पर सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने के निर्देश दिए हैं, हालांकि वे सदन में मौजूद रह सकेंगे।

अध्यक्ष देवनानी ने सदन में व्यवस्था देते हुए विधायक शान्ति धारीवाल को दो दिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय दिया। उन्होंने कहा कि आज और कल आप विधान सभा तो आएंगे, लेकिन सदन की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। मैं तो चाहता था जिस तरह का आचरण था, चार साल तक सदन के सदस्य रहने का हक नहीं था। आपके दल के सदस्यों के आग्रह और माफी के बाद मैने फैसला किया है। विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि जिस तरह का आचरण किया गया, इससे सदन की गरिमा को भारी ठेस पहुंची, आपको अंदाजा नहीं है, जब मीडिया में यह बात गई तो इस सदन की क्या गरिमा रह गई? आगे से चेतावनी है कि आप आचरण ठीक रखें। सदन की गरिमा को ठेस पहुंचाने के किसी एक्शन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा कि किसी भी सदस्य से ऐसी कोई गलती हो जाए और वो उस पर खेद प्रकट कर दे तो उसे माफ कर दिया जाना चाहिए। क्षमा से बढ़कर कोई दण्ड नहीं होता है। मेरे दल के सदस्य और मैं भी इस बात से आहत है। ऐसे शब्दों की सदन में कोई जगह नहीं होनी चाहिए। विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि धारीवाल के मुंह से ऐसे शब्द कैसे निकले उन शब्दों को जायज नहीं ठहरा सकते। अवस्था की वजह से निकले या कैसे निकले। हजारों बार असंसदीय शब्दों का प्रयोग होता है तो सभापति या अध्यक्ष कार्यवाही से निकाल देते है और मामला खत्म हो जाता है। मंशा खराब ना हो तो उस हिसाब से न्याय हो, उन्हें माफी दी जावे।

मुख्य सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि धारीवाल ने जिस तरह के शब्द सदन में बोले वो गिरते स्तर का परिचायक है। सदन में ऐसे शब्द बोलने से पहले सोचना चाहिए। ऐसा पहले भी हो चुका है।

विधायक शान्ति धारीवाल ने कहा कि वे हमेशा आसन को सर्वोच्च मानकर ही चलते है। आसन का अपमान करने का उनका कोई इरादा नहीं है। धारीवाल ने कहा कि 40 साल से जीतता आ रहा हूं। मैंने हमेशा इस आसन को सर्वोच्च माना है। मेरा आसन का अपमान करने का कोई इरादा नहीं हैं। संदीप शर्मा जब पहली बार सभापति की कुर्सी पर बैठे तो इस पूरे सदन में अकेला आदमी था, जिसने कहा था आज सबसे ज्यादा खुश हूं कि ये विराजमान है। जहां तक संदीप शर्मा की बात है तो वो मेरे बेटे के दोस्त है। हमेशा हंसी मजाक चलती रहती है। जब भी मिलते हैं, हल्की फुल्की बातें करते हैं।

हिन्दुस्थान समाचार / संदीप / ईश्वर

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