अनंत चतुर्दशी पर चल महोत्सव में बनेगा 50 हजार लोगों का महाप्रसाद,
चित्तौड़गढ़, 15 सितंबर (हि.स.)। चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर गणेश चतुर्दशी पर प्रतिमाओं का विसर्जन होगा। इसको लेकर पुलिस और प्रशासन की और से तैयारियां की जा रही है। वहीं यहां निकलने वाले चल महोत्सव के दौरान करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद का आयोजन होगा। इसे लेकर चित्तौड़गढ़ महोत्सव समिति की और से तैयारियां की जा रही है। हलवाई के 100 सदस्यों की टीम भोजन तैयार करेगी। इस आयोजन को लेकर सबसे बड़ी बात यह है कि शहरवासी और दानदाताओं स्वयं आगे आकर संसाधन जुटाए जाते हैं। जहां नकद भुगतान करना हो वहां दानदाता जिम्मेदारी ले स्वयं भुगतान कर देते है। समिति कहीं भी दान राशि एकत्रित करने नहीं जाती। कोई एक डिब्बा तेल का तो कोई आटे का सहयोग करता है।
चित्तौड़ महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील ढीलीवाल ने बताया कि अनंत चतुर्दशी पर चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर बड़ा आयोजन होता है। पूरे दिन प्रतिमाओं के विसर्जन का क्रम चलता है। यहां चित्तौड़ महोत्सव समिति के बैनर तले श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद कराया जा रहा है। समिति करीब 50 हजार श्रद्धालुओं के लिए भोजन बनवा रही है। इसे लेकर समिति की पूर्व में बैठक हो चुकी है। शहर में सूचना केंद्र के बाहर त्रिनेत्र गणेश मंदिर के यहां श्रद्धालुओं को महाप्रसाद करवाया जाएगा। महाप्रसाद बनाने का कार्य सोमवार दोपहर से शुरू होगा। यहां 100 हलवाई और 150 मजदूरों की टीम महाप्रसाद बनाएगी। अनंत चतुर्दशी पर दो अलग-अलग काउंटर लगा कर महाप्रसाद करवाया जाएगा। इसके लिए बड़े चूल्हे बनाने का काम हो चुका है। श्रद्धालुओं को दाना मैथी, पकोड़ी, मिर्ची गट्टे, अचार, नमकीन को सब्जी और पूड़ी महाप्रसाद के रूप में दी जाएगी।
भामाशाह की मदद से होता आया आयोजन
चित्तौड़ महोत्सव समिति के अध्यक्ष सुनील ढीलीवाल ने बताया कि यह आयोजन भामाशाह की मदद से होता आया है। भामाशाह स्वयं आगे आकर तेल, आटा, सब्जियां, गैस की टंकी आदि का सहयोग करते हैं। इसके अलावा अतिरिक्त होने वाले व्यय को लेकर भी भामाशाह आगे आएं हैं, जो अन्य खर्च उठाएंगे। इसके अलावा अन्य समितियों का गठन किया है, जो यहां पूरे दिन सेवाएं देगी।
प्रदेश के बड़े आयोजनों में से एक
अनंत चतुर्दशी पर प्रदेश में होने वाले बड़े आयोजनों में से एक है चित्तौड़गढ़ का महोत्सव। यहां घर-घर गणेश प्रतिमाओं की स्थापना होती है। सुबह से ही प्रतिमाओं के विसर्जन का दौर शुरू हो जाता है। पूरे दिन में 5 हजार से ज्यादा प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। 600 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं। वहीं शाम छह बजे लाइसेंस वाली झांकियों का जुलूस गांधी चौक से शुरू होता है। करीब डेढ़ किलोमीटर दूर गंभीरी नदी में प्रतिमाओं का विसर्जन होता है। आखिरी प्रतिमा के विसर्जन में अगले दिन के तड़के 4 बज जाते हैं। यानी डेढ़ किलोमीटर को पार करने में 10 घंटे लग जाते है।
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हिन्दुस्थान समाचार / अखिल
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