झालाना में बढ़ा पैंथर का कुनबा, वन विभाग खोज रहा नया जंगल

झालाना में बढ़ा पैंथर का कुनबा, वन विभाग खोज रहा नया जंगल
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झालाना में बढ़ा पैंथर का कुनबा, वन विभाग खोज रहा नया जंगल


जयपुर, 1 मार्च (हि.स.)। राजधानी स्थित झालाना वन क्षेत्र में पैंथर का कुनबा बढऩे की खुशी के बीच यह वन विभाग व शहर वासियों के लिए परेशानी का सबब भी बनता जा रहा है। पैंथर की बढ़ी संख्या के हिसाब से झालाना वन अब छोटा पडऩे लगा है। वन विभाग अब सरिस्का व जमवारामगढ़ के बीच फैले जंगल को अभयारण्य क्षेत्र में शामिल करने पर विचार कर रहा है। इस क्षेत्र को विकसित करने के बाद झालाना में बढ़े हुए पैंथरों को वहां पर छोड़ा जाएगा। ताकि आए दिन पैंथरों के शहर में घुसने की घटनाओं को रोका जा सके। झालाना वन क्षेत्र में वन विभाग की ओर से पर्यटकों को सफारी भी करवाई जाती है। यहां पर हर साल बड़ी संख्या में देशी व विदेशी पर्यटक वन्यजीवों को देखने आते है।

-छह साल में तीन गुना हो गई पैंथर की संख्या

वन विभाग के अनुसार झालाना वन क्षेत्र करीब 1900 हेक्टेयर में फैला हुआ है। साल 2014 में यहां पर दस पैंथर थे। साल 2015 में पैंथर की संख्या 22 हो गई थी। वर्तमान में यहां पर पैंथर की संख्या करीब 35 पहुंच गई है।

- जंगल में नहीं मिल वन्यजीवों को पर्याप्त भोजन

झालाना वन क्षेत्र में रह रहे वन्यजीवों के लिए वन विभाग पर्याप्त खाने पीने की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। यहीं वजह है कि खाने-पीने की तलाश में वन्य जीव जंगल से बाहर निकल आते है और हादसों के शिकार हो जाते है। हाल में आगरा रोड पर एक पैंथर का शावक बेहोशी की हालत में मिला था । जांच में पाया गया कि उसका पेट पूरी तरह से खाली था इस कारण वह सर्दी की चपेट में आ गया। भोजन के अभाव शावक के अलावा एक अन्य पैंथर की भी मौत हो गई थी।

-शहर में पैंथर मचा चुके है आतंक

पैंथर के जंगल से निकल कर शहर में घुसने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है। 2019 दिसम्बर माह में एक पैंथर ने शहर में 24 घंटे से अधिक समय तक आतंक मचाया था। पैंथर के आतंक के चलते लोग घरों में बंद हो गए थे। पैंथर जंगल से निकलकर मोतीडूंगरी के नजदीक एक पॉश कॉलोनी में घुस गया । 24 घंटे से अधिक समय तक पैंथर ने शहर में आतंक मचाने के बाद वन विभाग की टीम ने अथक प्रयास के बाद उसे लालकोठी में स्थित एक मकान से पकड़ा और उसे अलवर में छोड़ दिया। पैंथर के हमले में कुछ लोग चोटिल भी हुए थे। इसमें वनकर्मी भी शामिल था। पैंथर का मूवमेंट कई बार राजस्थान विश्वविद्यालय परिसर, जेएलएन मार्ग, इंदिरा गांधी नगर, दांतली-सिरोली की पहाडियों के अलावा अन्य स्थानों पर देखा जा चुका है।

-टकराव में जा चुकी है पैंथर की जान

पैंथर प्रजाति जंगल में टेरिटरी बना कर रहता है। झालाना वन में पैंथर की बढ़ती संख्या के बची आपसी टकराव भी देखने को मिला है। टकराव में कुछ पैंथरों की जान भी जा चुकी है। झालाना वन क्षेत्र दो भागों में बंटा हुआ है। आगरा रोड के दायीं तरफ और झालाना सफारी के बायीं ओर आमागढ़ की पहाडियों से जयसिंपुरा खोर तक । झालाना लेपर्ड प्रोजेक्ट के तहत करीब 14 करोड़ रुपए के काम करवाएं गए । इसमें झालाना वन क्षेत्र की फेंसिंग, दीवारों को ऊंचा करवाना सहित पानी के लिए पोण्ड बनाने सहित अन्य काम करवाए गए।

वाइल्ड लाइफ, राजस्थान के एपीसीसीएफ राजेश कुमार गुप्ता का कहना है कि झालाना वन क्षेत्र में लगातार पैंथर की संख्या बढ़ रही है। इससे खाने-पीने की कमी के साथ आपसी टकराव भी देखने को मिल रहा है। भोजन की तलाश में पैंथर शहर में भी आने लगे है। ऐसे में इनके लिए नया जंगल खोजा जा रहा है।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

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