विश्वभर में फैल चुके ओशो के विचार अब डिजिटल कंवर्ट : स्वामी शैलेंद्र
बीकानेर, 2 अक्टूबर (हि.स.)। हरियाणा के सोनीपत के श्री रजनीश ध्यान मंदिर के स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने बुधवार को बीकानेर में कहा कि परमात्मा कालातीत प्रणव है, ओंकार महासंगीत है जो मन में विचारों के कोलाहल के शांत होने पर पूर्ण आंतरिक मौन में सुनाई देता है। सृष्टि की मौलिक तथा चरम सच्चाई, वर्तमान में भी अनाहत नाद के रुप में निरंतर गूंज रही है जिसे ध्यानी स्वयं के भीतर डूबकर सुन सकता है। उन्होंने कहा कि विश्वभर में फैल चुके ओशो के विचार अब डिजिटल कंवर्ट हो गए हैं।
संभाग मुख्याल पर पहली बार ओशो गीता ध्यान यज्ञ के आयोजन में भाग लेने आए स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारे कंठ से उच्चारित मंत्र तो पैदा होते ही क्षणभर में विलुप्त हो जाता है। श्रीकृष्ण संकेत कर रहे है। शाश्वत और सनातन भागवत संगीत की ओर, जिसे राम-नाम भी पुकारा जाता है। इस अस्तित्वगत ध्वनि को ही गुरु नानक देव ने एक ओंकार सतनाम कहा है। उन्होंने कहा कि गीता दर्शन ओशो की सर्वाधिक लंबी व्याख्यानमाला है जिसमें करीब 350 घंटे में 219 प्रवचन दिए गए हैं। स्वामी शैलेंद्र ने यह भी कहा कि ओशो की समस्त विधियां भी उसी परम लक्ष्य परमात्मा तक ले जाती है जिस ओर भगवान श्रीकृष्ण ने संकेत किया है। आयोजन से जुड़े राजेश गोस्वामी ने हंशा गेस्ट हाऊस में गीता ध्यान यज्ञ का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें करीब सौ साधक-साधिकाएं भाग लेंगे।
हिन्दुस्थान समाचार / राजीव
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