ऊंट प्रजाति को 'कैमल इको-टूरिज्म' के रूप में बढ़ावा देने के लिए होगा प्रदर्शनी का आयोजन

ऊंट प्रजाति को 'कैमल इको-टूरिज्म' के रूप में बढ़ावा देने के लिए होगा प्रदर्शनी का आयोजन
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ऊंट प्रजाति को 'कैमल इको-टूरिज्म' के रूप में बढ़ावा देने के लिए होगा प्रदर्शनी का आयोजन


बीकानेर, 10 जनवरी (हि.स.)। राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) द्वारा पर्यटन विभाग एवं जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव पर 13 जनवरी को उन्नत तकनीकी प्रदर्शनी का आयोजन एन.आर.सी.सी. के कैमल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में किया जाएगा।

निदेशक डॉ.आर्तबन्धु साहू ने बताया कि अधिकाधिक पशुपालकों एवं किसानों के समक्ष नूतन प्रौद्योगिकी संबंधी जानकारी भलीभांति प्रदर्शित करने तथा बदलते परिवेश में ऊंट प्रजाति को ‘कैमल इको-टूरिज्म’ के रूप में बढ़ावा दिए जाने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय ऊंट उत्सव के अवसर पर प्रदर्शनी का आयोजन किया जायेगा।ताकि आमजन प्रेरित होकर अपनी आजीविका में सुधार ला सकें।

डॉ. साहू ने बताया कि मानव स्वास्थ्य में ऊंटनी का दूध विभिन्न बीमारियों यथा- मधुमेह, क्षय रोग, ऑटिज्म आदि में कारगर साबित हो रहा है वहीं इसकी ऊन, त्वचा, हड्डी आदि से बने उत्पादों की वैश्विक मांग बढ़ रही है। उन्होंने एनआरसीसी के वैज्ञानिकों द्वारा ऊंटनी के दूध से 25 से अधिक स्वादिष्ट दुग्ध उत्पाद विकसित किए जा चुके हैं वहीं यह केन्द्र पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है जिसे देखने प्रतिवर्ष हजारों देशी-विदेशी सैलानी, पशुपालक, किसान, स्कूली विद्यार्थी आदि शैक्षणिक भ्रमणार्थ के लिए आते हैं।

एनआरसीसी की ओर से ऊंट उत्सव कार्यक्रम के समन्वयक डॉ.आर.के.सावल ने बताया कि केन्द्र के कैमल स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में प्रात: 9.30 बजे से तकनीकी प्रदर्शनी में भारतीय कृषि अनुसन्धान परिषद एवं कृषि संबद्ध समस्त संस्थानों, केन्द्रों, विश्वविद्यालयों द्वारा उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों संबंधी अद्यतन जानकारी को किसानों,पशुपालकों, पर्यटकों व आमजन के समक्ष प्रदर्शित करने हेतु स्टॉल्स लगाई जाएगी।

हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर

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