सरिस्का की तर्ज पर बस्सी सेंचुरी में शुरू होगी जंगल सफारी, वन्य जीवों को देखेंगे नजदीक से
चित्तौड़गढ़ 20 दिसम्बर (हिस)। विंध्यांचल पर्वतमाला के हिस्से की वन श्रंखला के अंतर्गत आने वाले बस्सी वन्य जीव अभयारण्य में पर्यटकों को बढ़ावा देने और इको टूरिज्म को बेहतर बनाने के उद्देश्य से सरिस्का और रणथंभोर की तर्ज पर जंगल सफारी की शुरुआत की जा रही है। यह जंगल सफारी जनवरी माह में पर्यटकों के लिए शुरू कर दी जाएगी। इसे लेकर वन विभाग तैयारियों को अंतिम रूप दिया जा रहा है। बस्सी अभयारण्य क्षेत्र में वन्य जीवों को देखने और वन्य क्षेत्र का आनंद लेने के लिए पर्यटकों की आवाजाही शुरू हो रही है। संभावना जताई जा रही है कि आने वाले समय में वन विभाग की इस पहल से चित्तौड़गढ़ के पर्यटन उद्योग को बढ़ावा मिलेगा साथ ही आसपास के क्षेत्र में रहने वाले लोगों के लिए रोजगार के भी व्यापक अवसर प्राप्त होंगे। पर्यटकों का चित्तौड़गढ़ में रात्रि विश्राम होगा।
12 किलोमीटर का होगा सफर
जानकारी देते हुए उपवन संरक्षक अभयारण्य सोनल जोरिहार ने बताया कि बस्सी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए विभाग जंगल सफारी की शुरुआत करने जा रहा है। यहां 12 किलोमीटर का ट्रैक पहले से ही तैयार है। वहीं अब इसे संचालन के लिए औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जनवरी माह में शुरू किया जा सकेगा। इसे शुरू करने के लिए तैयारी लगभग पूरी हो चुकी है। अभयारण्य क्षेत्र में लगभग 12 किलोमीटर तक का यहां आने वाले पर्यटक जंगल सफारी का आनंद ले पाएंगे जिसमें पर्यटक वन्य जीव को देख पाएंगे। वन्य जीव निवास को प्रभावित किए बिना आसानी से पर्यटक इस जंगल सफारी का आनंद ले और उन्हें वन्य जीव दिखाई दे इसके लिए काम किया जा रहा है।
नौकायन से हुई शुरुआत
जिले के बस्सी वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र में इको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए बस्सी बांध क्षेत्र में जो वन्य जीव अभयारण्य क्षेत्र का हिस्सा है उसमें बोटिंग करवाई जा रही है। नौकायन के दौरान आने वाले पर्यटक यहां बने टीले पर मगरमच्छ को देखने का आनंद पहले से उठा रहे हैं। बताया जाता है कि इस क्षेत्र में लगभग 300 से ज्यादा मगरमच्छ है। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक जो नौकायन का आनंद लेते हैं उन्हें आसानी से मगरमच्छ दिखाई दे जाते हैं।
रात्रि ठहराव की बढ़ेगी संभावना
चित्तौड़गढ़ को एक विस्तृत पर्यटन क्षेत्र बनाने की दिशा में लगातार प्रयास किया जा रहे हैं। इसी क्रम में रोप वे की शुरुआत की गई थी और उसके बाद लगातार इस दिशा में नवाचार किया जा रहे हैं, जिससे कि पर्यटकों का रात्रि ठहराव चित्तौड़गढ़ में हो सके। इसी क्रम में जंगल सफारी शुरू होने के बाद पर्यटकों का रात्रि ठहराव चित्तौड़गढ़ में हो सकेगा।
ये है वन्य जीव
चित्तौड़गढ़ बस्सी वन क्षेत्र में अभयारण्य क्षेत्र की बात की जाए तो किस वन क्षेत्र में पैंथर, नीलगाय अजगर, जंगली सूअर, चोसिंगा, बिज्जू जैसे वन्य जीव होने के प्रमाण समय-समय पर वन्य जीव गणना के दौरान सामने आते हैं। साथ ही नियमित जांच के दौरान भी इन वन्यजीवों के फुट मार्क्स वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को समय-समय पर मिलते रहते हैं। इस क्षेत्र में इन वन्य जीवों के होने से इको टूरिज्म के बेहतर क्षेत्र की संभावना की तलाश की जा रही है।
हिन्दुस्थान समाचार/अखिल/संदीप
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