अब बीकानेर, नागौर, चूरू, बाड़मेर समेत अन्य खारे पानी वाले जिले बन सकते हैं सौंफ उत्पादन के हब
बीकानेर, 12 मई (हि.स.)। बीकानेर और इसके आसपास के जिले नागौर, चूरू, बाड़मेर समेत खारे पानी (लवणीय जल) वाले जिले सौंफ उत्पादन के हब बन सकते हैं। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर में विगत तीन वर्षों से लवणीय जल (खारे पानी) में सौंफ की खेती पर किए जा रहे रिसर्च के परिणाम सकारात्मक आए हैं।
कुलपति डॉ अरुण कुमार ने बताया कि अखिल भारतीय समन्वित अनुसंधान परियोजना लवण ग्रस्त मृदाओं का प्रबंधन एवं खारे जल का कृषि में उपयोग अंतर्गत ड्रिप सिंचाई पद्धति द्वारा लवणीय सिंचाई जल का सौंफ की विभिन्न किस्मों की वृद्धि एवं उपज पर अनुसंधान किया गया। जिसके परिणाम बेहद सकारात्मक आए हैं। इस अनुसंधान से ना केवल राज्य के मसाला उत्पादक किसानों को लाभ होगा बल्कि भविष्य में सौफ का क्षेत्रफल एवं उत्पादकता बढ़ाने में भी मदद मिलेगी।
प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर एवं केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल के प्रधान वैज्ञानिक डॉ रामेश्वर लाल मीणा ने प्रोजेक्ट का विजिट कर बताया कि तीन वर्षों के अनुसंधान से निष्कर्ष निकला है कि सौंफ की किस्म आरएफ 290 लवणीय जल (खारा पानी) सिंचाई में अच्छा प्रदर्शन कर रही है। प्रति हैक्टेयर करीब 9 क्विंटल सौंफ का उत्पादन हुआ। लिहाजा लवणीय जल सिंचाई वाले जिलों यथा बीकानेर, नागौर, चूरू, बाड़मेर इत्यादि में एवं उन जिलों में भी जहां ट्यूबवैल से खेती की जाती है वहां सौंफ की खेती से अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के क्षेत्रीय निदेशक डॉ एसआर यादव ने बताया कि बीकानेर जिले में किसान भाई मसाला फसलों की तरफ काफी आकर्षित हो रहे हैं। ऐसे में कृषि अनुसंधान केन्द्र बीकानेर के लवणीय जल में सौंफ की खेती को लेकर विगत तीन वर्षों के अनुसंधान से आए सकारात्मक परिणाम से जिले में सौंफ की खेती को एक विकल्प के रूप में लिया जा सकता है। प्रोजेक्ट इंचार्ज डॉ भूपेन्द्र सिंह ने अनुंसधान के आधार पर बताया कि सौंफ की किस्म आरएफ 290 में विद्युत चालकता (ईसी) 4 डेसी/मीटर तक के पानी को बूंद बूंद सिंचाई के जरिए उपयोग में लेकर सौंफ का 9 क्विंटल प्रति है. उत्पादन लिया जा सकता है।
विदित है कि देश में राजस्थान और गुजरात प्रमुख सौंफ उत्पादक राज्य है। जो देश में सौंफ उत्पादन में करीब 96 फीसदी का योगदान देते हैं। राजस्थान में सबसे ज्यादा सौंफ नागौर जिले (करीब 10 हजार हेक्टयर) में होती है। इसके अलावा सिरोही, जोधपुर, जालौर,जैसलमेर भरतपुर, सवाई माधोपुर जैसलमेर और बीकानेर जिले में भी सौंफ की खेती की जाती है लेकिन खारे पानी में सौंफ की खेती पर किए गए अनुसंधान से आए सकारात्मक परिणामो ने बीकानेर और उसके आसपास के जिलों में बड़े पैमाने पर सौंफ उत्पादन की उम्मीद जगा दी है।
हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/ईश्वर
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