नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने के लिए अतिक्ति बजट दे केन्द्र सरकार : शिक्षा मंत्री डॉ. कल्ला

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जयपुर, 15 मार्च (हि.स.)। राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ. बीडी कल्ला ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को बेहतर तरीके से क्रियान्वयन के लिए अतिक्ति बजट की जरूरत है। इससे स्कूलों में संसाधनों का विकास होगा। नई नीति जारी हुए दो साल हो गए, लेकिन केन्द्र सरकार ने अभी तक इस संबंध में कोई अतिरिक्त बजट जारी नहीं किया है।

शिक्षा मंत्री कल्ला बुधवार को यहां झालाना स्थित शिवचरण माथुर सोशल पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट (एससीएमएसपीआरआई) की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के राजस्थान में क्रियान्वयन को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा को निजी शिक्षण संस्थाओं के पैटर्न पर लाने का प्रयास किया है, किंतु ये हकीकत है कि अभी तक दो सालों तक कोई बजट नहीं आया। पढ़ाने वालों की ट्रेनिंग कैसे होगी? प्री-प्राइमरी में स्कूलों में आधारभूत ढांचा कैसा होगा? इसके बारे में कुछ नहीं कहा गया। उन्होंने कहा कि आजकल कॉन्सेप्ट यह आ गया है कि शिक्षा को जॉयफुल बनाएं। पढ़ने में आनंद की अनुभूति हो। खेल-खेल में बच्चों को पढ़ाएं। यह पक्ष तो अच्छा है, लेकिन इसके लिए तैयारी पूरी नहीं है। जैसे शिक्षकों को ट्रेनिंग नहीं है। वैसा ही आधारभूत ढांचा तैयार होना चाहिए।

डॉ. कल्ला ने कहा कि राजस्थान में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लेकर पूरी तैयारी है। चीफ सैकेट्री की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाई हुई है। जिला स्तर पर भी कलक्टर की अध्यक्षता में कमेटियां बनी हुई है। अलग-अलग कोर ग्रुप के हिसाब से छह कमेटियां बनाई हुई है। राजस्थान में 1133 स्कूलों में बाल वाटिका बनाकर प्री प्राइमरी शिक्षा शुरू कर दी। महात्मा गांधी स्कूलों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत प्रोत्साहन देना चाहते हैं। स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा की जरूरत है। तभी ज्यादा से ज्यादा बच्चों को रोजगार मिलेगा। नई शिक्षा नीति में वैज्ञानिक शोध की बात कही गई है। वैज्ञानिक सोच के साथ आगे बढ़ाना जरूरी है। इंस्पायर अवॉर्ड में राजस्थान पिछले तीन वर्षों में पूरे देश में नंबर वन आ रहा है। फिट इंडिया में नंबर वन हैं।

शिक्षा मंत्री ने कहा कि बच्चे को पढ़ने में आनंद की अनुभूति होनी चाहिए। आजकल बच्चा रटकर पास हो रहा है। वनवीक सीरीज, वनमंथसीरीज जैसी चीजें पढ़कर पास हो रहा है। यह सब बंद होनी चाहिए। बच्चों का मासिक रिव्यू होना चाहिए। साथ ही, अर्द्धवार्षिक और वार्षिक परीक्षाएं नियमित होनी चाहिएं। बच्चों की आदतें बदल रही है। बच्चों को किताबी ज्ञान ही नहीं देना, उसे व्यवहारिक ज्ञान देना है। साथ-साथ संस्कार भी देना है। साथ ही, अच्छे नागरिक बनाना होगा। यह तब ही होगा, जब हम अपने शिक्षकों को आदर्श शिक्षक बनाए, तभी यह संभव होगा। व्यसनमुक्त समाज की सरंचना तब ही साकार होगी, जब शिक्षक व्यसनमुक्त होगा। संस्कारवान शिक्षक तैयार करने होंगे।

डॉ. कल्ला ने कहा कि आजकल डिजिटल कंटेट पर जोर है। नई शिक्षा नीति में राष्ट्रीय मूल्यांकन केन्द्र की स्थापना की बात कही गई है। यह अच्छी बात है। शिक्षकों के लिए मानक बनाई जानी चाहिए। डिजिटल पुस्तकालय होना चाहिए। केन्द्र सरकार योजना बनाती है, लेकिन उसे क्रियान्वित करना मुश्किल है। इसके लिए संसाधनों की आवश्यकता है। नई शिक्षा नीति के तहत अभी किसी भी राज्य को बजट नहीं मिला है। यह मिलना चाहिए।

शिवचरण माथुर सोशल पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक व सेमिनार के समन्वयक डॉ. मनीष तिवारी ने बताया कि सेमिनार को पूर्व आईएएस व शिक्षाविद् प्रदीप बोरड़, राजस्थान सरकार के समसा कमिश्नर एम.एल. यादव और यूनिसेफ राजस्थान की चीफ इशाबेल बार्डेम ने भी संबोधित किया। तिवारी ने बताया कि सेमिनार के प्रथम सत्र में 'शैक्षणिक संरचना का पुनर्गठन', दूसरे सत्र में 'बुनियादी शिक्षा और निपूर्ण भारत' और तीसरे सत्र में 'शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण और समसामयिक बनाने के लिए डिजिटल टूल्स का बेहतर उपयोग कैसे हो' इस पर मंथन हुआ।

डॉ. तिवारी ने बताया कि वक्ताओं में एसआईआरटी डायरेक्टर उदयपुर व आरएएस अधिकारी कविता पाठक, समसा के डिप्टी डायरेक्टर मानाराम जाखड़, राजस्थान प्रथम के मैनेजिंग ट्रस्टी कुलभूषण कोठारी, केशव विद्यापीठ के डॉ. अशोक सिडाना, यूनिसेफ की डॉ. अमृता सेन गुप्ता, अजीम प्रेमजी फाउंडेशन तेलंगाना के स्टेट हेड एम.एस. राव, रीको की ओएसडी आभा बेनीवाल, प्रथम राजस्थान के रामकृष्ण व आशीष, एजुकेट गर्ल की नैना जोशी व ब्रजेश सिन्हा, संधान के चेयरमैन व पूर्व आईएएस राजेंद्र भानावत, अमेरिकन इंडिया फाउंडेशन के एस.डी. शर्मा, इन-डीड फाउंडेशन के विक्रम राजोला, पीरामल फाउंडेशन फॉर एजुकेशनल लीडरशिप के घनश्याम सोनी और एडइंडिया फाउंडेशन के राजेश कुमार बतौर वक्ता शामिल हुए। सेमिनार में राजस्थान भर से प्रिंसिपल, शिक्षा अधिकारी समेत शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों ने सहभागिता की।हिन्दुस्थान समाचार/राजीव/संदीप

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