आयुष मंत्रालय कर रहा है आमजन के स्वास्थ्य के लिए प्रकृति परीक्षण की तैयारी: कुलपति संजीव शर्मा
जयपुर, 10 अक्टूबर (हि.स.)। विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ डोनर समझौता-आयुर्वेद को वैश्विक स्तर पर प्रसारित करने के लिए आयुष मंत्रालय विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर बड़े स्तर पर कार्य कर रहा है। इस दिशा में जिनेवा में आयुष मंत्रालय और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच एक डोनर समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों को वैश्विक स्वास्थ्य प्रणाली में बेहतर तरीके से एकीकृत करने और साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के लिए मजबूत आधार बनाने की दिशा में प्रतिबद्धता को दर्शाता है। यह बात राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के कुलपति प्रोफेसर संजीव शर्मा गुरुवार को जोरावर सिंह गेट स्थित राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में आयुष मंत्रालय भारत सरकार एवं राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान की सौ दिन की उपलब्धियां पर प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए करते हुए कही।
शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर द्वारा विगत सौ दिनों में आमजन को आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ देने, देश-विदेश से आयुर्वेद में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों एवं संस्थान के चिकित्सकों, शिक्षको के विभिन्न रोगों के निदान में रिसर्च को बढ़ावा देने के लिये सभी विभागों द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सीएमई एवं अन्य कार्येशालाओं, व्याख्यानों का आयोजन किया गया है। आमजन में आयुर्वेद चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की जागरूकता के लिये निशुल्क कैंसर, हदय, मानसिक स्वास्थ्य के साथ विभिन्न रोगो की जागरूकता एंव चिकित्सा के लिये विभिन्न निशुल्क परामर्श एवं जांच शिविर लगाये हैं।
उपनिदेशक प्रशासन चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर में विगत 100 दिनों में आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ बड़ी संख्या में आमजन को दिया गया है जिसके अंतर्गत ओपीडी में 35 हजार 629 नये रोगी ओर 57 हजार 359 पुराने रोगी कुल 92 हजार 988 रोगीयों ने स्वास्थ्य परामर्श लिया है। वहीं आईपीडी 1 हजार 756 नये रोगी ओर 18 हजार 624 पुराने रोगी कुल 20 हजार 380 रोगीयों ने स्वास्थ्य लाभ लिया है।
इसके अलावा उत्तर पश्चिम रेलवे प्रधान कार्यालय जयपुर की संयुक्त अध्यक्षता में 28 अगस्त को आयोजित राजभाषा कार्यान्वयन समिति द्वारा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान (मानद विश्वविद्यालय) जयपुर को वर्ष 2023-2024 के दौरान सरकारी कामकाज में राजभाषा हिंदी का सर्वाधिक उपयोग करने के लिए केन्द्र सरकार के कार्यालय के “क” वर्ग में प्रथम स्थान प्राप्त करने पर ’वैजयंती राजभाषा शील्ड एवं प्रशस्ति पत्र’ देकर सम्मानित किया गया। वहीं राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के द्रव्य गुण विज्ञान विभाग द्वारा एक पेड माँ के नाम अभियान के अंतर्गत जग्गा की बावड़ी स्थित धन्वन्तरी उपवन में एक हजार फलदार पोधों को लगाकर ‘‘मातृ वन‘‘ की स्थापना की गई। पर्यावरण को स्वच्छ रखने, अधिक से अधिक औषधियों के माध्यम से आमजन को आयुर्वेद चिकित्सा एवं रिसर्च ओर देहदानियों की स्मृति में बीस एकड़ के उपवन में हर्बल गार्डन, ज्योतिषिय गार्डन, महर्षि दधिची गार्डन को बनाया गया है।
कुलसचिव प्रोफेसर अनीता शर्मा ने बताया कि आयुष मंत्रालय भारत सरकार के अंतर्गत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर द्वारा 29 अक्टूबर 2024 को 9वें आयुर्वेद दिवस को “वैश्विक स्वास्थ्य के लिए आयुर्वेद नवाचार” के रूप में मनाया जायेगा। आयुर्वेद दिवस के माध्यम से आमजन के स्वास्थ्य के लिये आयुर्वेद चिकित्सा एवं योग की जानकारी देने के लिये विभिन्न स्वास्थ्य एवं जन जागरूकता कार्यक्रमों को किया जा रहा है। कार्यक्रमों एवं गतिविधियों के अंतर्गत कार्यालय एवं संस्थाओं में 50 से अधिक योगाभ्यास प्रशिक्षण कार्यक्रम किये गये है और निःशुल्क आयुर्वेद स्वास्थ्य शिविर भी लगाये गये हैं।
आयुर्वेद दिवस के अंतर्गत देश एवं प्रदेश की विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थाओं के विद्यार्थी राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान में आयुर्वेद चिकित्सा एवं संस्थान द्वारा आमजन के स्वास्थ्य के लिये किये जाने वाले कार्यों एवं संस्थान में शैक्षणिक जानकारी ले रहे है।
मीडिया प्रभारी डॉ राकेश नागर ने बताया कि मलेशिया के साथ आयुर्वेद पर ऐतिहासिक समझौता -भारत और मलेशिया ने पारंपरिक चिकित्सा को बढ़ावा देने के लिए आयुर्वेद पर एक समझौते पर हस्ताक्षर किए। एवं एक आयुष चेयर के रूप में आयुर्वेद विशेषज्ञ को मलेशिया भेजा गया है। जो मलेशिया की यूनिवर्सिटी में आयुर्वेद पढ़ाएंगे एवं अनुसन्धान द्वारा मलेशिया में आयुर्वेद व्यापार बढाने कि और कार्य करेंगे।
वरिष्ठ नागरिकों के लिए आयुष शिविर
नागर ने बताया कि हमारा संकल्प था कि देशभर में 10 हजार आयुष शिविर लगाए जाएं । जिसमें वृद्ध लोगों को निःशुल्क परामर्श और पारंपरिक चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जाएं। केवल 100 दिनों में 14 हजार 692 शिविर लगाए जा चुके हैं । इसके अलावा राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पंचकूला, हरियाणा-यूजी पाठ्यक्रम शुरू हो गए हैं और आगे की प्रगति जारी है। वहीं ओडिशा, छत्तीसगढ़, और आंध्र प्रदेश में योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा में तीन केन्द्रीय अनुसंधान संस्थान (सीआरआईवाईएन) की आधारशिला रखने के लिए आरंभिक प्रक्रिया पूरी कर ली गई है।
आयुर्वेद स्वास्थ्य सेवाओं को जन-जन तक पहुंचाने के लिये राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान जयपुर द्वारा विगत 100 दिनों में चल चिकित्सा शिविर के माध्यम से प्रदेश के विभिन्न गांवों और शहरों में कुल 28 शिविर लगाये गये है। शिविरों के माध्यम से 12098 लोगों को निःशुल्क आयुर्वेद चिकित्सा परामर्श एवं औषधियां वितरित की गई हैं।
राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान, जयपुर के अंतर्गत राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान पंचकूला, हरियाणा को संचालित किया जा रहा है। यहां चिकित्सकों, नर्सिंग एवं अन्य पदों पर नियुक्ति की गई है साथ ही ठ।डै के प्रथम बैच के अंतर्गत प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को अध्ययन करवाया जा रहा है। यह संस्थान 250 बिस्तरों वाले अस्पताल और आयुर्वेद में स्नातक, स्नातकोत्तर और डॉक्टरेट कार्यक्रमों के साथ एक शीर्ष स्तरीय शिक्षण और अनुसंधान सुविधा के रूप में कार्य करेगा। वर्तमान में आमजन को आयुर्वेद चिकित्सा का लाभ देने के लिये ओपीड़ी का संचालन किया जा रहा है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में नई तकनीक के समावेश से रोगों के निदान के लिये रिसर्च और एकेडमिक को बढ़ावा देने के लिये जापान के सुकुबा विश्वविद्यालय के प्रतिनिधिमंडल ने जयपुर में राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान का दौरा किया। आयुर्वेद चिकित्सा के माध्यम से आमजन के मानसिक स्वास्थ्य के लिये राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के अस्पताल में ‘‘मानसिक स्वास्थ्य इकाई” का शुभारम्भ किया गया।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश
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