नन्दीश्वर द्वीप महामह विधान: विश्व शांति महायज्ञ के बाद जयकारों के साथ निकली विशाल रथयात्रा
जयपुर, 20 अक्टूबर (हि.स.)। अर्हं योग प्रणेता मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ के सानिध्य में मानसरोवर में चल रहे आठ दिवसीय महामह नंदीश्वर विधान का रविवार को विशाल रथयात्रा के साथ समापन हुआ । इससे पूर्व विश्व शांति महायज्ञ हुआ, जिसमें मंत्रोच्चार के साथ पूर्णाहुति दी गई ।
श्री आदिनाथ दिगंबर जैन समिति मीरा मार्ग के अध्यक्ष सुशील पहाड़िया एवं मंत्री राजेन्द्र सेठी ने बताया कि मानसरोवर के सेक्टर 9 स्थित सामुदायिक केन्द्र पर स्थापित 52 जिनालयों के 5616 जिनबिम्बों की एक साथ एक स्थान पर आठ दिवसीय संगीतमय आराधना के इस विशाल आयोजन में श्री जी के अभिषेक के बाद विश्व में सुख, शांति, समृद्धि और अमन चैन की कामना करते हुए भगवान कुंथुनाथ, भगवान अरहनाथ एवं भगवान महावीर स्वामी की शांतिधारा की गई। तत्पश्चात अष्ट द्रव्य से नित्य नियम पूजा की गई। विश्व शांति महायज्ञ के बाद रथयात्रा प्रारम्भ हुई ।
शाही लवाजमें के साथ निकाली गई रथयात्रा
आयोजन से जुड़े विनोद जैन कोटखावदा ने बताया कि पाण्डाल से मीरामार्ग के श्री आदिनाथ दिगम्बर जैन मंदिर तक विशाल रथयात्रा निकाली गई । रथयात्रा पटेल मार्ग, परमहंस मार्ग, मध्यम मार्ग होती हुई मंदिर जी पर जाकर सम्पन्न हुई । जिसके तत्पश्चात श्री जी को मंदिर जी में वेदी पर विराजमान किया गया।
रथयात्रा में रथ पर श्री जी को जम्बू सोगानी रथ पर लेकर बैठे हुए थे। विमल जैन पचेवर सारथी थे ।रथयात्रा में बैण्ड बाजों के साथ हाथी, घोड़े, ऊटं, बघ्घियां एवं हाथों में जैन पताकाएं लेकर हजारों श्रद्धालुगण नाचते गाते शामिल हुए । रथ के आगे मुनि प्रणम्य सागर महाराज ससंघ चल रहे थे। रथयात्रा में आर के मार्बल्स किशनगढ़ के अशोक - सुशीला पाटनी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री सुरेश प्रभु, संघ प्रचारक प्रशांत भी शामिल हुए।रथयात्रा के समापन पर मीरामार्ग के आदिनाथ भवन में धर्म सभा पर हुआ ।
मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने दिए प्रवचन
जिसमें मुनि प्रणम्य सागर महाराज ने प्रवचन देते हुए कहा कि यदि हम अहिंसा, क्षमा वात्सल्य एवं भारतीय संस्कृति को अपनाकर अपना जीवन व्यतीत करेंगे तो सनातन मूल्य की रक्षा अपने आप हो जाएगी। हम अपने जीवन से दूसरों के जीवन की रक्षा करने का विचार रखे एवं शाकाहार को अपनाएं और यह भावना विश्व के हर प्राणी में पहुंचे तो यह सिर्फ भारत में नहीं विश्व में भी शांति पैदा करेगा। यह अहिंसा, क्षमा, दया की भावना आने वाली पीढ़ी में यदि पहुंचती है तो हमारे सनातन मूल्य अपने आप आगे बढ़ते रहेंगे। इस मौके पर किशनगढ़ समाज ने अशोक पाटनी आर के ग्रुप के नेतृत्व में मुनिश्री को शीतकालीन प्रवास हेतु श्रीफल चढ़ाया। इससे पूर्व चित्र अनावरण, दीप प्रज्वलन, पाद प्रक्षालन, शास्त्र भेट के आयोजन हुए।
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हिन्दुस्थान समाचार / दिनेश
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