डिस्पोजेबल कप पर लगाने होंगे नाम वाले स्टीकर्स, ताकि कचरा कौन फैला रहा है पकड़ में आ सके!
उदयपुर, 23 फ़रवरी (हि.स.)। उदयपुर में अब सुखाड़िया सर्किल व फतहसागर पर चल रहे फूड स्टॉल्स को डिस्पोजेबल कप पर अपने स्टीकर लगाने होंगे। ठेले वालों के लिए ड्रेस कोड लागू होगा और प्लाटिंग के लिए पहाड़िया समतल करने पर रोक लगाई जाएगी।
यह महत्वपूर्ण निर्णय शुक्रवार को जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल की अध्यक्षता में जिला कलेक्ट्रेट स्थित सभागार में आयोजित जिला पर्यावरण समिति की बैठक में किए गए। बैठक में समिति सदस्य सचिव उप वन संरक्षक उत्तर अजय चित्तौड़ा ने बैठक में बिंदुवार एजेंडा सामने रखा जिस पर चर्चा करते हुए निर्णय किए गए। जिला कलेक्टर ने कहा कि सुखाड़िया सर्किल और फतहसागर पर डिस्पोजेबल कप के कचरे की समस्या के समाधान के लिए कचरा फैलाने वालों की पहचान करना आवश्यक है। इसके लिए उन्होने प्रत्येक स्टॉल संचालक को डिस्पोजेबल कप पर अपने स्टीकर चिपकाने के लिए पाबंद करने की आवश्यकता जताई। उन्होंने नगर निगम आयुक्त को इस बाबत सभी स्टॉल संचालकों को आदेश जारी कर स्टीकर लगाने के लिए पाबंद करने के निर्देश दिए, ताकि कचरा फैलाने वालों की प्रभावी मॉनिटरिंग हो सके। इससे स्टॉल संचालक अपने ग्राहकों को कचरा फैलाने से रोकने के लिए बाध्य होंगे। इसके अलावा इन स्थानों पर लगने वाले खाने-पीने की वस्तुओं के ठेले वालों के लिए ड्रेस कोड निर्धारित करने को भी कहा। ठेले संचालकों से बैठक कर इस पर अग्रिम कार्यवाही करने के निर्देश उन्होने दिए। पर्यटन स्थलों पर डस्टबिन रखने का निर्णय भी बैठक में किया गया। सड़कों पर आ रहे पेंथर की रोकथाम को लिए उपाय खोजने, श्वान की जनसंख्या पर नियंत्रण जैसे बिंदुओं पर चर्चा की गई। बैठक में नगर निगम आयुक्त रामप्रकाश, कृषि सहायक निदेशक डॉ डीपी सिंह, नगर निगम अतिरिक्त मुख्य अभियंता मुकेश पुजारी, रेंजर कैलाश मेनारिया, मेनार सरपंच प्रमोद, उप सरपंच मांगी लाल सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे।
हाल ही में वेटलैंड सिटी (रामसर साइट) के रूप में देश के तीन शहरों का चयन हुआ है जिनमें भोपाल व इंदौर के साथ उदयपुर भी शामिल है। उदयपुर के मेनार तालाब पर होने वाले विकास कार्यों जैसे पिलर लगाने, फैसिंग, टापू विकसित करने, आईपोमिया हटाने, कचरा पात्र लगाने जैसे कार्यों की चर्चा की गई। इसके अलावा चावंड व अन्य तालाबों को वेटलैंड के रूप में विकसित करने पर भी बात हुई।
बैठक में जिला कलेक्टर ने नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत निर्माण कार्यों की बजाय ई-रिक्शा को बढ़ावा देने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्रोग्राम के तहत बेरोजगार युवाओं को ई-रिक्शा आवंटन किए जाएं तो उन्हे रोजगार मिलेगा और पर्यावरण संरक्षण भी हो सकेगा।
भू-व्यवसायी इन दिनों शहर के आसपास की पहाड़ियों को समतल कर प्लाटिंग करने का कार्य जोर-शोर से कर रहे हैं इससे पर्यावरण पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। बैठक में निर्णय किया गया कि ढलान वाली पहाड़ियों पर आवासीय कॉलोनी के लिए कन्वर्जन पर रोक लगाने के लिए उदयपुर विकास प्राधिकरण को पत्र लिखा जाए।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता कौशल/ईश्वर
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