संग्रहालय अपने आप में शिक्षण और शोध के अद्भुत केन्द्र - सारंगदेवोत
उदयपुर, 18 मई (हि.स.)। अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के अवसर पर जर्नादनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ के साहित्य संस्थान, भारतीय इतिहास संकलन समिति उदयपुर तथा प्रताप गौरव केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में संग्रहालयों के भ्रमण का आयोजन किया गया। इस भ्रमण कार्यक्रम में इतिहास सचेतकों ने संग्रहालयों में संग्रहित विरासत को सहेजने के साथ जन-जन तक इसके महत्व और इसके वैशिष्ट्य को पहुंचाने की पुरजोर आवश्यकता जताई।
साहित्य संस्थान के निदेशक प्रो. जीवन सिंह खरकवाल ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस के आयोजन का आरंभ विद्यापीठ के कुलपति कर्नल प्रो शिव सिंह सारंगदेवोत द्वारा परिचय पत्र के विमोचन के साथ हुआ। इस परिचय पत्र में संस्थान के संग्रहालय में संग्रहित पाषाण कालीन, हड़प्पा सभ्यता, कांस्ययुगीन, ग्रामीण संस्कृतियों के चिह्न, लौह युगीन, ऐतिहासिक एवं मध्यकाल की सामग्री का संक्षिप्त विवरण है। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि संग्रहालय अपने आप में शिक्षण और शोध के अद्भुत केन्द्र होते हैं जिनमें प्राचीन समाजों का तकनीकी ज्ञान संचित व संग्रहित होता है। इस वर्ष में संग्रहालय दिवस का भी यही मंत्र है। उल्लेखनीय है कि संस्थान के संग्रहालय में हड़प्पा संस्कृति में नाव के आकार का अवशेष, आहाड़ संस्कृति के धातु के औजार तथा जावर की जस्ता प्रगलन भट्टी के अवशेष मुख्य आकर्षण हैं। इसके अतिरिक्त संस्थान में उत्तराखण्ड, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात तथा कर्नाटक के पुरातात्विक अवशेषों का संग्रहण भी है।
संग्रहालय परिचय पत्र विमोचन के बाद संस्थान के कार्यकर्ता, छात्र छात्राएं, भारतीय इतिहास संकलन समिति के सदस्यों के साथ मोहनलाल सुखाडिया विश्वविद्यालय के भू विज्ञान संग्रहालय पहुंचे। संग्रहालय में विभागाध्यक्ष प्रोफेसर रितेश पुरोहित ने राजस्थान की विविध प्रकार की चट्टानों, जीवाश्मो एवं अर्धकीमती पत्थरों के अवशेषों से परिचय करवाया। इसके अतिरिक्त उन्होने पृथ्वी के निर्माण के दौरान जीवन की शुरुआत अरावली में कैसे हुई तथा धातु अरावली क्षेत्र में कहां और क्यों पाई जाती है, इसे भी विस्तार से समझाया।
भ्रमण का तीसरा पड़ाव आहाड़ संग्रहालय रहा। इसमें पाषाणकाल, आहाड़ संस्कृति एवं ऐतिहासिक काल के अवशेषों का विवरण साहित्य संस्थान के निदेशक प्रोफेसर जीवन सिंह खरकवाल ने बताया। इसी तरह, मध्यकालीन प्रतिमाओं के बारे में प्रताप गौरव शोध केन्द्र के निदेशक डॉ. विवेक भटनागर ने प्रतिभागियों को समझाया। इस भ्रमण का अंतिम पड़ाव साहित्य संस्थान संग्रहालय था जिसमें संस्थान में उपलब्ध सामग्री का सभी प्रतिभागियों ने अवलोकन किया तथा संग्रह की उपयोगिता पर चर्चा की।
हिन्दुस्थान समाचार/ सुनीता/संदीप
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