आचार संहिता के बाद होगा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन

आचार संहिता के बाद होगा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन
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आचार संहिता के बाद होगा मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन


जयपुर, 25 मई (हि.स.)। बिजली, पानी सहित अन्य समस्याओं को ध्यान में रखकर अब राजस्थान सरकार मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बायलॉज (नियम) में संशोधन की तैयारी कर रही है। अधिकारियों के स्तर पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बायलॉज के प्रावधान में बदलाव की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। ऐसे में अब आचार संहिता हटने के बाद स्वायत्त शासन मंत्री और मुख्य सचिव के स्तर पर चर्चा के बाद बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन लागू किया जाना प्रस्तावित है।

स्वायत्त शासन मंत्री झाबर सिंह ने बताया कि यहां का बिल्डिंग बायलॉज काफी पुराना हो गया है। इनमें समय के साथ बदलाव की आवश्यकता महसूस हो रही थी। पुराने बायलॉज में काफी ऐसे नियम हैं, जो वर्तमान की स्थिति के हिसाब से फिट नहीं बैठते। इसलिए नया ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। आचार संहिता हटने के बाद यह ड्राफ्ट मेरे पास आएगा। इस पर अधिकारियों और लीगल डिपार्टमेंट से चर्चा करने के बाद हम उसे जनता के सामने रखेंगे। जनता की राय के आधार उसमें कोई बदलाव या सुधार होगा। उसी आधार पर फाइनल ड्राफ्ट तैयार होगा। उसे लागू किया जाएगा।

प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार के गठन के साथ ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग के नियमों और प्रारूप में बदलाव की तैयारी शुरू हो गई थी। फिलहाल 18 मीटर से अधिक ऊंचाई की बिल्डिंग को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की श्रेणी में शामिल किया जाता है। ऐसे में 60 फीट या इससे अधिक चौड़ी सड़क पर ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग का निर्माण किया जा सकता है। इसे बदलकर अब अधिकतम 15 मीटर ऊंचाई की बिल्डिंग को मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की श्रेणी में लाने की तैयारी की जा रही है। सबकुछ ठीक-ठाक रहा तो भविष्य में 60 फीट से कम चौड़ी सड़कों पर 15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग का निर्माण नहीं किया जा सकेगा। इसी तरह मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में फायर फाइटिंग सिस्टम लगाने के साथ ही फायर ब्रिगेड की गाड़ियों के मूवमेंट के लिए रूट (ज्यादा चौड़ी सड़क) छोड़ने का प्रावधान है। इसके तहत बिल्डिंग बायलॉज में 3.6 मीटर चौड़े ड्राइव वे को बढ़ाकर 4.5 मीटर करने का प्रावधान किया जा रहा है। इसके साथ ही मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के प्रावधान में संशोधन की तैयारी की जा रही है। ताकि कम गहराई में चट्टान वाले इलाकों में भी बारिश के पानी को संचय कर रीसायकल किया जा सके।

स्वायत्त शासन विभाग द्वारा तैयार किया जा रहे बिल्डिंग बायलॉज में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की छत पर सोलर पैनल लगाने का प्रावधान भी शामिल किया जाएगा। फिलहाल इस तरह का कोई प्रावधान शामिल नहीं है। ऐसे में भविष्य में मल्टी स्टोरी बिल्डिंग की छत पर काम से कम 25% हिस्से पर सोलर पैनल लगाया जाना आवश्यक होगा।

हिन्दुस्थान समाचार/ राजेश/संदीप

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