ईआरसीपी पर हुआ एमओयू पूर्वी राजस्थान की जनता के साथ छलावा-राठौड़
अजमेर, 31 जनवरी(हि.स)। राजस्थान पर्यटन विकास निगम के पूर्व चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने कहा कि पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना और पीकेसी परियोजना को लेकर राजस्थान और मध्य प्रदेश सरकार के बीच हुआ एमओयू पूर्वी राजस्थान की जनता के साथ छलावा है। इस एमओ यू में राजस्थान और मध्य प्रदेश को मिलने वाले पानी की मात्रा का जिक्र तक भी नहीं है। अजमेर क्लब में बुधवार को पत्रकारों को संबोधित करते पूर्व चेयरमैन धर्मेंद्र राठौड़ ने कहा कि जलशक्ति मंत्री ने मीडिया में बयान दिया कि राजस्थान को 2500 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मिलेगा, जबकि विधानसभा में मुख्यमंत्री ने बयान दिया कि 3500 मिलियन क्यूबिक मीटर से भी अधिक पानी मिलेगा।
उन्होंने कहा कि ईआरसीपी के माध्यम से 3921 एमसीएम पानी पेयजल एवं सिंचाई जल के रूप में 13 जिलों में देने की योजना थी। इस एमओयू में पानी की मात्रा नहीं लिखी गई, परन्तु 13 दिसंबर 2022 को हुई रिवर इंटरलिंकिंग विशेष समिति की 20वीं बैठक के मिनट्स को आधार बनाया गया है। इन मिनट्स में लिखा है कि राजस्थान के 13 जिलों को इस नई परियोजना से 1775 एमसीएम पानी ही उपलब्ध हो सकेगा। इससे पूर्वी राजस्थान को केवल पेयजल ही मिल सकेगा और किसान पानी के लिए तरसते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के समय ऑरिजिनल डीपीआर में 26 बांध शामिल थे. मुख्यमंत्री ने 15 अगस्त 2023 को 53 और बांध जोड़ने की घोषणा की थी। इस समझौते में कितने बांध जोड़े जाएंगे, उसकी जानकारी नहीं दी है। राज्य सरकार को अविलंब इस एमओयू को लेकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए कि राजस्थान को कितना पानी मिलेगा और इसमें पेयजल, सिंचाई जल और उद्योगों के लिए जल की कितनी उपलब्धता होगी। पूर्व चेयरमैन राठौड़ ने कहा कि इस एमओयू को लेकर जारी प्रेस नोट में लिखा गया है कि दोनों राज्यों को 2.8 लाख हैक्टेयर$2.8 लाख हैक्टेयर कुल 5.6 लाख हैक्टेयर या उससे अधिक इलाके में सिंचाई होगी जबकि एमओयू में केवल 2.8 लाख हैक्टेयर लिखा गया है।
इस एमओयू से राजस्थान की जगह मध्य प्रदेश को फायदा होता दिख रहा है, क्योंकि 2 बांध वो पहले ही बना चुके हैं और 3 नए बांध इस एमओयू के आधार पर बना लेंगे, जबकि राजस्थान को जो पानी कांग्रेस सरकार के समय की डीपीआर से मिलने वाला था वो भी कम होगा। चंबल नदी में हर साल 10,000 एमएसएम से भी अधिक पानी व्यर्थ बहकर जाता है। हर मानसून में धौलपुर, करौली, सवाई माधोपुर, कोटा, बारां, झालावाड़ समेत तमाम जिलों में बाढ़ आ जाती है और गर्मी में पूरे राजस्थान में पानी की किल्लत हो जाती है। इसके बावजूद राजस्थान के हक को मारकर मध्य प्रदेश को प्राथमिकता दी जा रही है। ऐसा लगता है कि ये एमओयू बस वसुंधरा राजे की डीपीआर को क्रेडिट मिलने से रोकने और प्रधानमंत्री को खुश करने के लिए किया है। इससे राजस्थान के किसानों का हक मारा गया है। प्रेस वार्ता में प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ राजकुमार जयपाल, पूर्व विधायक नाथूराम सिनोदिया, वरिष्ठ नेता राजेश टंडन, ब्लॉक अध्यक्ष शैलेंद्र अग्रवाल, पार्षद नोरत गुर्जर, ब्लॉक अध्यक्ष वाहिद मोहमद, पूर्व पार्षद सर्वेश पारीक व कुलदीप कपूर आदि कांग्रेस नेता मौजूद रहे।
हिन्दुस्थान समाचार/संतोष/संदीप

